सीजीटीएन पोल: लगभग 80 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिका ही एकमात्र प्रतिबंध लगाने वाली महाशक्ति है

2024-06-12 19:59:44

संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक बार फिर इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और अन्य के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट का विरोध करने के लिए प्रतिबंधों के उपकरण का इस्तेमाल किया है। अमेरिका के इस कृत्य की वैश्विक जनमत से व्यापक आलोचना हुई है।

दुनिया भर के नेटिज़न्स के लिए सीजीटीएन द्वारा शुरू किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 90.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की कोई वैधता नहीं है और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और व्यवस्था के प्रति कोई सम्मान न रखने के लिए इसकी आलोचना की।

यह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर प्रतिबंध लगाने का संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला प्रयास नहीं है। साल 2020 में, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया जिसमें घोषणा की गई कि अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिकी आचरण की जांच में शामिल होने के लिए अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाएगा।

सर्वेक्षण में पाया गया कि 85.2 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं का मानना है कि अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका के अपमानजनक प्रतिबंधों ने संयुक्त राष्ट्र के मूल में बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है।

देखा गया है कि साल 1950 से, संयुक्त राज्य अमेरिका प्रतिबंधों के उपयोग में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। पिछले साल अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा जारी किए गए डेटा से पता चला कि अमेरिका ने 20 से अधिक देशों पर प्रतिबंध लगाए हैं। सर्वेक्षण में, 78.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस डेटा को देखकर चौंक गए और अमेरिका को वैश्विक स्तर पर एकमात्र "प्रतिबंध लगाने वाली महाशक्ति" माना।

हालाँकि, "अमेरिकी प्रतिबंध" किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन या कानून द्वारा अधिकृत नहीं हैं। अमेरिका अपने घरेलू कानून को अंतर्राष्ट्रीय कानून से ऊपर रख रहा है। 86.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि एकतरफा प्रतिबंध संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए वैश्विक आधिपत्य बनाए रखने, प्रतिस्पर्धियों को दबाने, अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और यहाँ तक कि उनके शासन को उलटने का एक उपकरण बन गए हैं।

एक नेटिजन ने जवाब दिया, "कुछ देश दूसरे देशों पर प्रतिबंध लगाने के आदी हैं। उन्हें लगता है कि वे सच्चाई के मालिक हैं और खुद को जज और जूरी की तरह मानते हैं।" इस बीच, प्रतिबंधित देशों की अर्थव्यवस्थाएँ ठहराव और कठिनाई से पीड़ित हैं।

सर्वेक्षण में पाया गया कि 93 प्रतिशत उत्तरदाता "अमेरिकी प्रतिबंधों" के कारण होने वाले गंभीर मानवीय संकट से बहुत चिंतित थे। एक नेटिजन ने सटीक रूप से कहा, "प्रतिबंधों का दुरुपयोग लोगों के लिए लूट और नुकसान है।"

बता दें कि यह सर्वेक्षण सीजीटीएन के अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, अरबी और रूसी प्लेटफार्मों पर जारी किया गया था, जिसमें 24 घंटे के भीतर 15,000 से अधिक लोगों ने मतदान किया।

(अखिल पाराशर)

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