भारत की नई सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां

2024-06-11 15:20:54

9 जून की रात राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह धूमधाम से आयोजित हुआ । नरेंद्र मोदी शपथ लेकर लगातार तीसरी बार भारतीय प्रधानमंत्री बने ,जो जवाहर लाल नेहरू के बाद ऐसा गौरव पाने वाला दूसरे नेता हैं। इस बार के मंत्रिमंडल में कुछ नये चेहरे नजर आये हैं ,पर गृह ,रक्षा ,विदेश व वित्त जैसे कैबिनिट मंत्रियों में कोई बदलाव नहीं है ।स्थानीय विश्लेषकों के विचार में राजनीतिक स्थिरता और सरकार की निरंतरता भारत के विकास के लिए लाभदायक है,पर नयी सरकार के सामने घरेलू व कूटनीतिक दृष्टि से दो बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं ,जिसका सूझबूझ से निपटारा करना बहुत अहम है। 

पहली बड़ी चुनौती है कि तेज आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के साथ आम लोगों को कैसे अधिक ठोस लाभ पहुंचाया जाय।पिछले कुछ सालों में भारत की आर्थिक वृद्धि दर विश्व में अग्रणी रही है और आर्थिक शक्ति तेजी से बढ़ी है ।पिछले वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत पर पहुंची ,जो विश्व के दस से सबसे बड़े आर्थिक समुदायों के पहले स्थान पर रही ।अब भारत का आर्थिक आकार लगभग 37 खरब अमेरिकी डॉलर है और जापान के 41 खरब अमेरिकी डॉलर से पीछे होकर विश्व का पांचवां सबसे बड़ा आर्थिक समुदाय है ।भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने हाल ही में अनुमान लगाया कि भारत 2026-27 वित्त वर्ष में जापान और जर्मनी को पार कर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा आर्थिक समुदाय बन जाएगा ।पिछले दस वर्षों में भारत के बुनियादी संस्थापन निर्माण में बड़ी प्रगति भी हासिल हुई है। वर्ष 2014 में जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने,उस समय भारत में सिर्फ पांच शहरों में मेट्रो सेवा उपलब्ध थी और मेट्रो की लंबाई सिर्फ 229 किलोमीटर थी ।अब भारत के 18 शहरों में मेट्रो की कुल लंबाई 870 किमी. है और 1000 किलोमीटर मेट्रो निर्माणाधीन है ।दस साल पहले इसी महीने में मुंबई सेंसेक्स का सूचकांक 25 हजार से अधिक अंक था ,पर आज मुंबई सेंसेक्स का सूचकांक 70 हजार अंक से अधिक है और इस जनवरी में भारत हांगकांग को पार कर विश्व का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार बना ।शानदार मैक्रो आर्थिक आंकड़ों के बावजूद कई उभरे हुए गंभीर सवालों से इनकार नहीं किया जा सकता है । पिछले दस सालों में भारत में अमीर और गरीब के बीच खाई भी तेजी से बढ़ रही है ।बेरोजगारी दर लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर चल रही है ।हर साल  बड़ी संख्या में युवा रोजगार बाजार में दाखिल होते हैं ,लेकिन गुणवत्तापूर्ण रोजगार के मौके की बहुत कमी है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन का अनुमान है कि भारतीय विश्वविद्यालयों के ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर 29 प्रतिशत है ।मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में मेक इन इंडिया का नारा लगाया ,लेकिन दस साल के बाद भारत की जीडीपी में विनिर्माण उद्योग का योगदान संतोषजनक नहीं है । इसके अलावा वस्तुओं की कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी एक चिंताजनक सवाल भी है । अभी अभी समाप्त आम चुनाव के परिणामों ने वास्तव में चेतावनी का संकेत दिया है ।वर्ष 2019 की तुलना में बीजीपी और एनडीए की सीटों में बड़ी गिरावट आयी ,जबकि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन अनुमान से काफी अच्छा रहा ।इसका एक मुख्य कारण है कि विपक्षी पार्टियों ने आर्थिक विकास के समावेश पर जोर लगाया था ।

राजनयिक पहलू में विश्व के बड़े देशों के साथ संबंधों में सुधार नयी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है ।वर्तमान विश्व अशांत और अस्थिर है ,जो मुठभेड़ और परिवर्तन से भरा है ।अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति गहरे और जटिल बदलवाल से गुजर रही है ।बड़े देशों का मुकाबला तीव्र दिखाई दे रहा है । अमेरिका ,चीन ,रूस जैसे बड़े देशों के साथ संबंध कैसे रहेंगे ,वह भारत के खुद विकास से घनिष्ठ रूप से जुड़ता है ।उनमें से भारत के सबसे बड़े पड़ोसी और विश्व के दूसरे सबसे बड़ा आर्थिक समुदाय चीन के साथ संबंधों में सुधार भारत के लिए खास महत्व रखता है और विभिन्न पक्षों के लिए एक ध्यानाकर्षक मुद्दा भी है ।आम चुनाव से  पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी मैगज़ीन न्यूज वीक के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि चीन के साथ संबंध भारत के लिए बहुत अहम हैं ।भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध दोनों देशों ,क्षेत्र और पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।उन्होंने विश्वास जताया कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर के सक्रिय और रचनात्मक संवाद से दोनों देशों की सीमांत क्षेत्र में शांति व अमन चैन की बहाली की जा सकेगी ।उधर आम चुनाव के बाद चीन ने मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को जीत पर बधाई दी है ।11जून को चीनी प्रधान मंत्री ली छ्यांग ने मोदी को तीसरी बार प्रधान मंत्री बनने पर बधाई दी।उन्होंने कहा कि चीन भारत संबंध का स्वस्थ व स्थिर विकास न सिर्फ दोनों देशों की जनता को अधिक लाभ पुहंचाएगा ,बल्कि क्षेत्र व विश्व में स्थिरता और सकारात्मग ऊर्जा डालेगा ।चीन भारत के साथ द्विपत्रीय संबंधों को सही दिशा में बढ़ाने को तैयार है । निसंदेह भारत चीन संबंधों के विकास की भावी दिशा देखने के योग्य है ।(वेइतुंग)

 

रेडियो प्रोग्राम