चीन में बच्चों और किशोरों की स्वास्थ्य स्थिति में आया सुधार

2024-04-28 10:00:03

लगातार बढ़ती सुख सुविधाओं और असंतुलित खान-पान के कारण लोग तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। खासतौर पर बच्चों और किशोरों में फास्ट फूड खाने का चलन खूब बढ़ गया है। वे पोषक तत्वों वाला भोजन करना पसंद नहीं करते हैं, साथ ही व्यायाम व खेल-कूद भी कम करते हैं। जबकि इंटरनेट और वीडियो गेम्स पर ज्यादा फोकस होने के कारण भी उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। लगभग ऐसी स्थिति हर देश में सामने आ रही है। चीन में भी बच्चों और किशोरों को लेकर ऐसा ही कहा जा सकता है। लेकिन, हाल के वर्षों में सरकार के प्रयासों से देश में बच्चों और युवाओं की समग्र स्वास्थ्य स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।

हाल में किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि चीनी बच्चे मोटापा, मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। ये बीमारियां इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि इन्होंने अन्य संक्रामक रोगों को भी पीछे छोड़ दिया है। ऐसे में बच्चों को स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाने की बड़ी चुनौती है, जाहिर है कि बच्चे और किशोर देश का भविष्य होते हैं। अगर वे स्वस्थ नहीं हुए तो उनके परिजन चिंतित होंगे। बताया जाता है कि पिछले तीन दशकों में इस तरह की बीमारियां बच्चों को घेरने में लगी हैं।

हालांकि कुल मिलाकर देखा जाए, तो चीन में बच्चों और युवाओं की समग्र स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो रहा है। मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1990 में 5 साल के बच्चों से 19 वर्ष की आयु के युवाओं में सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर प्रति एक लाख में 77.73 थी। लेकिन वर्ष 2019 तक, इन्हीं उम्र के बच्चों और युवाओं की मृत्यु दर घटकर प्रति एक लाख में 27.79 रह गयी। यह इस बात का प्रमाण है कि चीन में हाल के दशकों में स्वास्थ्य व्यवस्था आदि में कितना सुधार हुआ है। न केवल बच्चों को आज के दौर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, बल्कि महिलाओं और बुजुर्गों को भी इनका लाभ मिल रहा है। जिससे असामयिक मौत के मामलों में काफी गिरावट दर्ज गयी है।

गौरतलब है कि 1990 के दशक में संक्रामक रोगों की व्यापकता और सड़क दुर्घटनाओं में चोट लगने तथा डूबने जैसी घटनाओं के कारण चीन में बड़ी संख्या में युवाओं की मौत होती थी। पेइचिंग विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि इन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटा जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक वजन, खराब दृष्टि और मानसिक स्वास्थ्य सहित नई स्वास्थ्य समस्याएं सामने आयी हैं।

इससे जाहिर होता है कि चीन में हाल के दशकों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कुछ काम किया गया है। लेकिन बच्चों और किशोरों में मोटापे और मायोपिया की समस्या एक बड़ी चुनौती है। इन्हें नियंत्रित करने के लिए सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करना होगा। हालांकि यह भी कहना होगा कि यह न केवल चीन में बच्चों और किशोरों को घेरने वाली समस्या है, बल्कि अन्य देशों में भी बच्चे इससे परेशान हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न सरकारों को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा।

(अनिल पांडेय)

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