टैगोर की चीन यात्रा की सौवीं वर्षगांठ पर संगोष्ठी आयोजित

2024-04-15 16:21:31

इस साल अप्रैल महीने में विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर की पहली चीन यात्रा की सौवीं वर्षगांठ है। इसके उपलक्ष्य में चीनी पीपुल्स वैदेशिक मैत्री एसोसिएशन, कोलकाता स्थित चीनी जनरल कौंसुलेट और चीन के कई विश्वविद्यालयों ने सिलसिलेवार कार्यक्रमों का आयोजन किया।

शनचन विश्वविद्यालय ने 13 अप्रैल को इस विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। कोलकाता स्थित चीनी जनरल कौंसुलेट, विश्वभारती विश्वविद्यालय, रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, शनचन विश्वविद्यालय, पेकिंग विश्वविद्यालय, पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, क्वांगतोंग यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज, शांगहाई राजनीति विज्ञान और कानून विश्वविद्यालय आदि संगठनों के प्रतिनिधियों ने संगोष्ठी में भाग लिया।

विश्वभारती विश्वविद्यालय के चीन भावना विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने भाषण देते हुए कहा कि टैगोर को पक्का विश्वास था कि वर्ष 1924 में उनकी चीन यात्रा से चीन और भारत के बीच सभ्यता संबंध मजबूत होंगे। चीन भावना विभाग उनकी यात्रा के बाद स्थापित हुआ, जो चीन और भारत के बीच मित्रवत आदान-प्रदान का प्रतीक है। टैगोर की रचनाओं का चीन में बार-बार अनुवाद किया गया, जो दोनों देशों के बीच मित्रवत आवाजाही का पुल हैं।

बंगाली अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष तोंग योछन ने कहा कि टैगोर चीन को प्यार करते थे और चीनी लोगों के न्यायपूर्ण कार्य का समर्थन करते थे। उनके विचार आधुनिक समय में भी चीनी युवाओं को प्रेरित करते हैं।

रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर सब्यसाची बसु रॉय चौधरी ने कहा कि चीन और भारत के बीच परंपरागत मित्रवत इतिहास है। इस गहरे आधार पर दोनों देशों को आदान-प्रदान और आपसी सीख मजबूत करनी चाहिए, ताकि सांस्कृतिक आवाजाही बढ़ सके।

(ललिता)

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