अमेरिका फिलीपींस को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करता है

2024-04-14 19:02:29

स्थानीय समयानुसार 11 अप्रैल को अमेरिका, जापान और फिलीपींस के नेताओं ने पहली बार अमेरिका के वाशिंगटन में तथाकथित त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया। अमेरिकी अधिकारियों ने मीडिया के साथ साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया कि शिखर सम्मेलन में उठाए गए कई उपायों का उद्देश्य चीन को निशाना बनाना है, खासकर दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर।

हाल ही में, फिलीपींस अपने क्षेत्र के बाहर के देशों को लुभाने में लगा हुआ है और उसने दक्षिण चीन सागर में छोटी-छोटी हरकतें करना बंद नहीं किया है। अमेरिका में जाने के बाद फिलीपींस का रुख भी "सख्त" बन गया है। एक तरफ फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड रोमुअलडेज़ मार्कोस ने पिछली सरकार और चीन के बीच हुए "समझौते" से इनकार किया। दूसरी तरफ़, फिलीपीन सरकार ने मीडिया के माध्यम से घोषणा की कि उसे शिखर सम्मेलन के दौरान फिलीपींस में एक खरब अमेरिकी डॉलर के निवेश समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है।

हालांकि त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि फिलीपींस के लिए अमेरिका की रक्षा प्रतिबद्धता "स्टील की तरह दृढ़ है।" पर ऐसा लगता है कि फिलीपीन सरकार ने इस मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया है कि अमेरिका के वादे कितने विश्वसनीय हैं? अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चीन को उकसाना जारी रखने के लिए फिलीपींस को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी तथाकथित "लौह प्रतिबद्धता" को बार-बार दोहराया है। वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय माहौल में, अमेरिका को उम्मीद है कि फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में चीन की ऊर्जा को नियंत्रित करेगा और कुछ हद तक चीन के विकास को प्रभावित करेगा। क्योंकि चीन के साथ सीधा सैन्य संघर्ष वह विकल्प है जिसे अमेरिका कम से कम देखना चाहता है और इससे बचने की कोशिश कर रहा है।

चंद्रिमा

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