अमेरिका, जापान और फिलीपींस का "छोटा वृत्त" दक्षिण चीन सागर की स्थिति में उथल-पुथल चाहता है

2024-04-13 17:54:49

स्थानीय समय के अनुसार, 11 अप्रैल को अमेरिका, जापान और फिलीपींस के नेताओं ने वाशिंगटन में पहला त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया। तीनों पक्षों ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी कर दावा किया कि वे तथाकथित "इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और दुनिया की सुरक्षा और समृद्धि" को बढ़ावा देने के लिए रक्षा सहयोग को मजबूत करेंगे। बयान में चीन पर "बल का उपयोग कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने" की आलोचना की गई, और दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर आदि क्षेत्रों में अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए चीन की कार्रवाइयों को लेकर तथाकथित "चिंता" व्यक्त की गई।

सुरक्षा सहयोग के संदर्भ में, त्रिपक्षीय बयान में कई व्यवस्थाएं की गईं, जिनमें अमेरिका और जापान द्वारा फिलीपींस के तटरक्षक की क्षमता के निर्माण का लगातार समर्थन करना, त्रिपक्षीय समुद्री वार्ता तंत्र की स्थापना, साल 2025 में तीनों देशों के राष्ट्रीय रक्षा और समुद्री कानून प्रवर्तन बलों के जापान के पास समुद्र क्षेत्र में संयुक्त अभ्यास करना आदि शामिल हैं।

अमेरिका ने त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान फिलीपींस को दोहराया कि यदि दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के विमानों, जहाजों या सशस्त्र बलों पर हमला किया जाता है, तो वह "अमेरिका-फिलीपींस पारस्परिक रक्षा संधि" को लागू कर सकता है।

विश्लेषकों ने बताया कि अमेरिका द्वारा फिलीपींस के समर्थन से जाहिर हुआ कि वह दक्षिण चीन सागर में अराजकता चाहता है। यदि पूर्वी एशिया में शांत है, तो अमेरिकी आधिपत्य की तर्कसंगतता पर सवाल उठाया जाएगा। इस तरह, दक्षिण चीन सागर मुद्दा अमेरिका के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मामलों में हस्तक्षेप करने का एक बहाना बन गया है। फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि "दक्षिण चीन सागर शांतिपूर्ण हुआ करता था, लेकिन अमेरिकियों के आने के बाद यह विवादों से भर गया।"

वहीं, फिलीपींस के "एशियाई सदी" रणनीतिक अनुसंधान संस्थान की उप निदेशक अन्ना मालिंदोग-उय ने कहा कि अमेरिका और जापान दक्षिण चीन सागर मुद्दे के पक्षकार नहीं हैं और उन्हें दक्षिण चीन सागर मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उनके विचार में अमेरिका-जापान-फिलीपींस त्रिपक्षीय बैठक और इसकी शीत युद्ध मानसिकता सहयोग के बजाय टकराव को और मजबूत करेगी और दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ाएगी।

वास्तव में, दक्षिण चीन सागर के द्वीप चीन के अंतर्निहित क्षेत्र हैं, और इस क्षेत्र में चीन की प्रादेशिक संप्रभुता और समुद्री अधिकारों व हितों का पर्याप्त ऐतिहासिक और कानूनी आधार है। "दक्षिण चीन सागर से संबंधित विभिन्न पक्षों का कार्यवाही घोषणा-पत्र" के अनुच्छेद 5 के अनुसार, सभी पक्ष आत्म-संयम बरतने और ऐसी कार्रवाई नहीं करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो विवादों को जटिल बनाती है या बढ़ाती है या शांति और स्थिरता को प्रभावित करती है।

फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में उल्लंघनों और उकसावों में लगा हुआ है और इस क्षेत्र में विवादों का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के लिए बाहरी ताकतों पर निर्भर है। उसकी कार्रवाइयां गंभीर रूप से घोषणा-पत्र की भावना का उल्लंघन करती हैं, और दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने की क्षेत्रीय देशों की अभिलाषा के खिलाफ हैं।

वर्तमान में, आसियान देशों के चीन के साथ मजबूत होते संबंधों की पृष्ठभूमि में, अमेरिका, जापान और फिलीपींस का "छोटा वृत्त" धारा के विपरीत चल रहा है, और यह इस क्षेत्र में जो लाता है वह किसी भी तरह से "सुरक्षा और समृद्धि" नहीं है, लेकिन टकराव और खतरा है।

(श्याओ थांग)

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