पार्किंसन बीमारी का अचूक इलाज थाईछी है

2024-03-25 10:43:07

चीन में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि चीनी मार्शल आर्ट थाईछी का अभ्यास करने से एक गंभीर दिमाग़ी बीमारी पार्किंसन के लक्षणों को कई सालों के लिए टाला जा सकता है। दरअसल, पार्किंसन एक दिमाग़ी बीमारी है, जिसमें मरीज की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती चली जाती है। समय के साथ, पार्किंसंस से पीड़ित व्यक्तियों के लिए अपनी शारीरिक गतिविधियों पर कंट्रोल बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

हालाँकि, जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और साइकाइट्री में प्रकाशित एक स्टडी से पता चलता है कि थाईछी का अभ्यास पार्किंसन बीमारी की गति को धीमा कर सकता है। इस स्टडी में पार्किंसन बीमारी से पीड़ित 334 मरीज़ों को शामिल किया गया। इनमें से 147 मरीज़ों के समूह ने हफ़्ते में 2 बार एक घंटे के लिए थाईछी का अभ्यास किया।

इस स्टडी में पता चला है कि जो लोग एक हफ़्ते में दो बार इस मार्शल आर्ट का अभ्यास करते हैं, उन्हें उन लोगों की तुलना में कम परेशानियां झेलनी पड़ती हैं जो इस मार्शल आर्ट का अभ्यास नहीं करते।

पार्किंसन बीमारी क्या होती है?

पार्किंसन बीमारी को समझने के लिए दुनिया भर में रिसर्च जारी हैं। लेकिन अब तक जो कुछ पता है, उसके मुताबिक़ इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का अपनी शारीरिक गतिविधियों पर कंट्रोल कम होता जाता है।

उदाहरण के लिए, उसे कंपन और मांसपेशियों में अकड़न जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही इस बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को फिजिकल बैलेंस और कोर्डिनेशन बनाने में भी परेशानी आती है।

उधर, चीन की शांगहाई च्याओथोंग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के अध्ययन में पांच साल तक पार्किंसन के सैकड़ों मरीज़ों की सेहत पर नज़र रखी गई। इसमें एक समूह जिसमें 147 लोग थे उन्होंने नियमित रूप से थाईछी का अभ्यास किया जबकि 187 लोगों के समूह ने अभ्यास नहीं किया। और शोधकर्ताओं ने थाईछी का अभ्यास कर रहे समूहों में लक्षणों, मूवमेंट और संतुलन का अध्ययन करके पाया गया उसमें इस बीमारी की गति धीमी थी।

इस समूह के मरीज़ों में चक्कर खाकर गिरने में कमी आयी, पीठ दर्द में कमी आयी, याददाश्त और एकाग्रता से जुड़ी दिक्कतों में कमी आयी, नींद और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

इससे पहले पार्किंसन से पीड़ित जिन लोगों ने थाईछी का 6 महीने तक अभ्यास किया उनमें कई मामलों में सुधार देखा गया जैसे वे बेहतर तरीके से चल पा रहे थे, उनके संतुलन और पोस्चर में भी सुधार देखा गया।

जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी और साइकाइट्री में लिखे लेख पर डॉ. जनरल ली और उनके अन्य सह-लेखक बताते हैं, “उनके अध्ययन से पता चलता है कि थाईछी के अभ्यास से पार्किंसंन बीमारी पर प्रभावशाली असर पड़ता है।”

लेकिन वे यह भी मानते हैं कि ये शोध अभी काफ़ी कम लोगों पर हुआ है और इससे ये साबित नहीं होता है कि मरीज़ों के एक समूह में पॉज़िटिव बदलाव की वजह सिर्फ़ थाईछी है।

यह ‘थाईछी’ क्या है और इसके क्या फ़ायदे हैं?

थाईछी चीनी मार्शल आर्ट का ही एक रूप है। इसकी शुरूआत चीन में हुई। इसमें स्लो या धीमे मूवमेंट होते हैं और गहरी सांस ली जाती है। थाईछी से शरीर को शारीरिक और भावनात्मक रूप से फ़िट भी रखा जा सकता है। द चैरिटी पार्किंसन यूके ने थाईछी को धीमे मूवमेंट वाली शारीरिक गतिविधि बताया है जो जिंदगी और मूड को बेहतर बनाने में मदद करती है।

वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों के लिए थाईछी बहुत फायदेमंद साबित होती है। थाईछी शरीर के संतुलन को बेहतर करता है। स्पाइनल इंजरी और घुटने की चोट को ठीक करने में मददगार साबित होता है।

थाईछी से शरीर के पोस्चर को ठीक किया जा सकता है। यह सिर्फ़ शरीर ही नहीं बल्कि मन भी शांत करता है। नियमित थाईछी करने से ब्लड प्रेशर, इम्यून सिस्टम बेहतर होता है तो वहीं फेफड़ों पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और शरीर का बैलेंस भी बेहतर होता है।

देखा जाए तो पिछले कुछ समय से भारत में भी पार्किंसन के मरीज़ों की संख्या बढ़ती दिख रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों का लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर होना और इस बीमारी के प्रति जागरूरता की कमी होना है। थाईछी को पार्किंसन जैसी बीमारियों के रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम में शामिल करना चाहिए और इसके प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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