चीन में जीवंत रंगों और सांस्कृतिक सद्भाव का वसंत मेला मनाया गया

2024-03-23 18:27:44

शनिवार को चीन की राजधानी बीजिंग में भारतीय दूतावास में वसंत मेला का आयोजन हुआ, जो कि भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को उजागर करने वाला एक रंगीन उत्सव है। यह चीन और अन्य देशों के लोगों को भारत के संगीत, नृत्य परंपराओं, और भोजन का आनंद लेने का एक सुनहरा मौका देता है। इस आयोजन का उद्देश्य भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ को बढ़ावा देना है।

यह वसंत मेला पिछले साल भी मनाया गया था जब चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने पारंपरिक होली समारोह को और अधिक महत्वपूर्ण मेले में विस्तारित करने के एक तरीके के रूप में शुरुआत की। पिछले साल की तरह, इस मेले में भारत से संबंधित कई अलग-अलग सांस्कृतिक प्रदर्शन, पारंपरिक संगीत और नृत्य, और अलग-अलग क्षेत्रों के भोजन और शिल्प बेचने के स्टॉल लगाये गये हैं।

राजदूत रावत ने बताया कि पिछले साल वसंत मेला चीनी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहा, जिसमें 2,500 से अधिक लोग शामिल हुए थे। यह मेला दोनों देशों की संस्कृतियों के बीच एक पुल के का काम करता है, साथ ही मित्रता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।

इस उत्सव में शास्त्रीय और फ्यूजन संगीत के साथ-साथ शास्त्रीय नृत्य की चार शैलियों का मिश्रण पेश किया गया: भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी और कथक। इस बार, भारतीयों और गैर-भारतीयों को पारंपरिक भारतीय कपड़े पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे मेले का माहौल जीवंत हो गया।

इसके अलावा, स्टालों पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों के उत्पाद प्रदर्शित किए गए, जिनमें शिल्प, स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं, मेंहदी, शॉल, कालीन आदि शामिल थे, जिससे उपस्थित लोगों को भारतीय संस्कृति की विविधता की झलक मिली।

मेले में चीनी कलाकारों ने भी भरतनाट्यम, ओडिसी, कथक, तबला और सितार जैसी भारतीय शास्त्रीय कलाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनकी भागीदारी ने भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में अद्वितीय भूमिका निभाई। यह मेला एक बड़ी सफलता थी और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में एक प्रमुख मील का पत्थर था।

भारतीय दूतावास ऐसे जीवंत समारोहों के माध्यम से भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक समझ और दोस्ती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वसंत मेला सांस्कृतिक सद्भाव का प्रतीक है, जो विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को दोस्ती, प्यार और भारत और चीन की साझा विरासत का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है।

(अखिल पाराशर)

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