चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के लिए आगे का रास्ता: आपसी सम्मान, स्वतंत्रता, आर्थिक और व्यापार सहयोग

2024-03-22 16:15:24

इस वर्ष चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी संबंधों की स्थापना की 10वीं वर्षगांठ है। पिछले 10 वर्षों में चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में उतार-चढ़ाव का अनुभव हुआ है। इसका मुख्य कारण है कि पूर्व ऑस्ट्रेलिया सरकार ने चीन के खिलाफ अमेरिकी रोकथाम नीति का आंख बंद करके पालन किया। इसकी वजह से द्विपक्षीय संबंध धीरे-धीरे खराब होते गए। हालांकि, 2022 में ऑस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी के सत्ता में आने के बाद से चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में गर्माहट आनी शुरू हुई है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री अल्बानीज़ ने भेंटवार्ता की और अल्बानीज़ ने चीन की यात्रा भी की, जिन्हें द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।

हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की। यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। चीन ने इस बात पर जोर दिया कि अब चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंध सही रास्ते पर लौट आए हैं, तो दोनों पक्षों को बिना किसी हिचकिचाहट आगे बढ़ना चाहिए। ऑस्ट्रेलियाई पक्ष ने कहा कि चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को मतभेदों और असहमति से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि दोनों पक्षों के सामान्य हितों की तलाश की जानी चाहिए।

चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंध ख़राब न होने को सुनिश्चित करने के लिए तीन पहलुओं में प्रयास करने की ज़रूरत है। सबसे पहले, दोनों पक्षों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और मतभेदों को दूर करना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया को विशेष रूप से चीन के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने की आवश्यकता है। चीन ने थाईवान, हांगकांग, शिनच्यांग, तिब्बत और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर अपने रुख पर जोर दिया, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने इस बात पर जोर दिया कि वह हमेशा एक-चीन नीति का पालन करता है और भविष्य में इसका पालन करना जारी रखेगा।

चीन-ऑस्ट्रेलियाई संबंधों में गर्माहट के बावजूद अभी भी कुछ समस्याएं मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस ने पहली बार दक्षिण चीन सागर में संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था और इस साल ऑस्ट्रेलिया ने आसियान द्वारा आयोजित एक विशेष शिखर सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर के मुद्दे को उछाला। ये कार्रवाइयां द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए स्पष्ट रूप से हानिकारक हैं। केवल एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करके ही चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंध लगातार आगे बढ़ सकते हैं।

इसके अलावा, चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के विकास के लिए स्वतंत्रता की आवश्यकता है। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका का सहयोगी और चीन का भागीदार दोनों है, और यह एक संप्रभु देश भी है। चीन इस बात पर जोर देता है कि चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का विकास तीसरे पक्षों पर लक्षित नहीं है, न ही इसे तीसरे पक्षों द्वारा प्रभावित या हस्तक्षेप किया जाना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया को भूराजनीतिक टकराव में "मोहरा" नहीं बनना चाहिए, बल्कि वास्तविक सहयोग के माध्यम से अपने लोगों और पूरे क्षेत्र को लाभ पहुंचाना चाहिए।

चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के विकास में आर्थिक और व्यापार सहयोग सबसे सक्रिय और प्रेरक शक्ति है। चीन लगातार 15 वर्षों से ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है और दोनों देशों के बीच व्यापार सुगम हो गया है। ऑस्ट्रेलियाई आंकड़ों के अनुसार, चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच माल का कुल व्यापार 2023 में साल-दर-साल 8.2% की वृद्धि के साथ एक नयी ऐतिहासिक रिकॉर्ड की ऊंचाई पर पहुंच गया। ऑस्ट्रेलिया के कोयला, लॉग, जौ, घास और अन्य उत्पादों ने चीनी बाजार में फिर से प्रवेश किया है, और दोनों देश चीन को ऑस्ट्रेलियाई शराब के निर्यात जैसे व्यापार विवादों पर सैद्धांतिक सहमति पर पहुंच गए हैं।

वर्तमान में, चीन व्यापक रूप से चीनी शैली वाले आधुनिकीकरण को बढ़ावा दे रहा है और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया भर के देशों को अधिक अवसर प्रदान कर रहा है। ऑस्ट्रेलियाई व्यापार जगत ने चीन के भविष्य के विकास में विश्वास व्यक्त किया और चीन में वास्तविक निवेश में 186.1% की वृद्धि हुई है। पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ हरित विकास और तकनीकी नवाचार जैसे नए सहयोग के अवसरों को भी सक्रिय रूप से तलाशने का इच्छुक है।

चीन और ऑस्ट्रेलिया दोनों एशिया-प्रशांत में महत्वपूर्ण देश हैं और एक-दूसरे के साथ कोई ऐतिहासिक शिकायत या बुनियादी हितों का टकराव नहीं है। चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का स्थिर, मजबूत और स्थायी विकास दोनों लोगों के साझा हितों में है और क्षेत्रीय देशों की आम अपेक्षा भी है।

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