जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटना बहुत महत्वपूर्ण, चीन दे रहा है ज़ोर

2024-03-13 10:36:49

जलवायु परिवर्तन की समस्या पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी चुनौती है, जिससे निपटना आसान नहीं है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रयास किए जाने की जरूरत है।

यहां बता दें कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसे अपनी ज़िम्मेदारी का अच्छी तरह अहसास है। चीन बार-बार इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर काम करने का आह्वान करता रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस चुनौती को समझते हैं। हमने उनकी सैन फ्रांसिस्को यात्रा के दौरान भी इसे देखा, जब उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।

अभी-अभी चीन में संपन्न दो सत्रों के दौरान भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया गया है। एनपीसी प्रतिनिधि के रूप में थ्याननंग ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष चांग थ्यानरन ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को काफी अहम बताया है। उन्होंने कहा कि चीन में इसके लिए कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।

इसके साथ ही उन्होंने महत्वाकांक्षी जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कानून लाने का आग्रह किया है। उनके मुताबिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक कानून और कानूनी व्यवस्था की स्थापना चीन द्वारा जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अहम है।

जाहिर है कि साल 2030 से पहले चीन का लक्ष्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को चरम पर पहुंचाना है। जबकि वर्ष 2060 से पहले कार्बन तटस्थता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

ध्यान रहे कि चीन इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए तेजी से कोशिश कर रहा है। पारिस्थितिक पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, चीन ने जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया को बढ़ाने के निरंतर प्रयासों के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी प्रगति हासिल की है। हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पिछले कुछ वर्षों में कार्बन कटौती का लक्ष्य हासिल करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। बताया जाता है कि चीन ने साल 2022 में कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता वर्ष 2005 के मुकाबले 51 फीसदी तक कम करने में कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ही चीन की कुल ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ऊर्जा की हिस्सेदारी 17.5 प्रतिशत तक पहुंच गयी है।

चांग थ्यानरन ने कहा कि चीन ने संबंधित लक्ष्य को हासिल करने के लिए "1+एन" नीति व्यवस्था की शुरुआत की है। थ्याननंग ग्रुप के बोर्ड अध्यक्ष चांग के अनुसार, कुछ राष्ट्रीय विभागों ने पहले ही कुछ प्रमुख क्षेत्रों के लिए कार्य योजनाएं और सहायक नीतियां तैयार की हैं।

उधर चीन ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मदद देने में बड़ी भूमिका निभाई है। जिसमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग वाले देश शामिल हैं, वे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। चीन ने विभिन्न विकासशील देशों के साथ जलवायु परिवर्तन पर 48 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। जबकि 120 से ज्यादा विकासशील देशों के लिए हज़ारों अधिकारियों और तकनीशियनों को प्रशिक्षण देने में भी सहायता की है। 

यह कहने में कोई दोराय नहीं है कि चीन में आयोजित हुए दो सत्रों के दौरान वरिष्ठ नेताओं और प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय चिंता के मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया। जिससे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी का पता चलता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन की तरह अन्य देश, विशेषकर विकसित राष्ट्र अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और हर समस्या के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार नहीं ठहराएंगे।

(अनिल पांडेय)

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