चीन के दो सत्र- विभिन्न वैश्विक संकटों को हल करने में चीन की अहम भूमिका

2024-03-11 16:27:10

चीन में दो सत्रों के आयोजन ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। चीन में इस साल के सबसे बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में एनपीसी और सीपीपीसीसी में अहम मुद्दों पर चर्चा की गयी। इनमें चीन के शीर्ष नेताओं के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय और सुझाव रखे। इन सम्मेलनों से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि चीन वैश्विक मंदी और युद्ध के संकट के बीच एक अग्रणी शक्ति के रूप में आगे बढ़कर काम कर रहा है। जानकार कहते हैं कि चीन ने जिस तरह से कोरोना महामारी के बाद की स्थिति को संभाला है, वह काबिले तारीफ़ है। आने वाले दिनों में भी चीन विभिन्न वैश्विक संकटों के समाधान में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। 

हमने देखा कि चीन ने एनपीसी के दौरान आधुनिकीकरण और तकनीकी प्रगति पर ज़ोर दिया। जिसका उद्देश्य चीनी नागरिकों के जीवन को बेहतर से बेहतर बनाना है। क्योंकि तकनीकी विकास और औद्योगिक प्रगति आज के वक्त की मांग है, चीन सरकार और चीनी नेता इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं।

गौरतलब है कि चीनी प्रधानमंत्री ली छ्यांग द्वारा एनपीसी के सम्मुख प्रस्तुत वार्षिक सरकारी कार्य रिपोर्ट ने चीनी खुलेपन और वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया। रिपोर्ट में सिर्फ सामान्य विकास दर की ही बात नहीं की गयी है, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले विकास पर भी जोर दिया गया है। वहीं, देश के भीतर डिमांड बढ़ाने पर फोकस किया गया है। जबकि उपभोग और निवेश के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर चीन का जोर होगा। जाहिर है कि चीन आधुनिक औद्योगिक प्रणाली के निर्माण को व्यापक ढंग से बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों के विकास में तेजी लाने के लिए काम करेगा। स्पष्ट है कि चीन नवाचार और हरित विकास पर अपना ध्यान केंदित किए हुए है। जिस तरह से दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझ रही है, ऐसे में चीन की पहल और कोशिश सराहनीय है।

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा पेश की गयी "नई गुणवत्ता उत्पादक शक्तियों" की अवधारणा को स्वागत योग्य कदम माना गया है। 

10 मार्च को, चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन यानी सीपीपीसीसी का समापन हो गया है, विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले कई दशकों से यह सीपीसी के नेतृत्व में एक अहम भूमिका निभा रही है। साथ ही चीन में स्थिर राजनीतिक व्यवस्था का अन्य देशों पर असर दिखता है। क्योंकि चीन एक बड़ी आर्थिक शक्ति वाला देश है, जो संकट के मौकों पर मदद का हाथ बढ़ाता है।

कहा जा सकता है कि चीन के दो सत्रों ने चुनौती भरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक और मजबूत संदेश दिया है। जिससे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन की जिम्मेदारी का पता चलता है। जो बार-बार खुलेपन और समन्वय पर जोर दे रहा है।

(अनिल पांडेय) 

 

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