परमाणु-दूषित जल को फिर से समुद्र को नुकसान न पहुँचाने दें...

2024-03-09 09:38:19

13 साल पहले 11 मार्च जापान के लिए एक विनाशकारी दिन था। इसके उत्तरपूर्वी समुद्र जल क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर 9 तीव्रता का भूकंप आया और सुनामी आ गई। भूकंप और सुनामी के दोहरे प्रभाव से प्रभावित होकर, टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र क्षतिग्रस्त हो गया और बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री लीक हो गई, जिसके परिणामस्वरूप, सोवियत संघ में चेरनोबिल परमाणु दुर्घटना के बाद सबसे गंभीर परमाणु दुर्घटना हुई।

13 अप्रैल 2021 को, जापान सरकार ने एकतरफा तौर पर फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में संग्रहित परमाणु-दूषित जल को बैचों में समुद्र में छोड़ने की योजना की घोषणा की। 24 अगस्त 2023 को, इस योजना का पहला दौर शुरू हुआ, इस दौरान 7,788 टन परमाणु-दूषित जल को समुद्र में छोड़ गया। इसके बाद, इस योजना का दूसरा और तीसरा दौर क्रमशः 5 अक्तूबर और 2 नवंबर को किया गया। केवल तीन महीनों में, जापान ने बिना अनुमति के 23,000 टन से अधिक परमाणु-दूषित जल समुद्र में बहा दिया।

नए साल 2024 की शुरुआत में, 28 फरवरी को, जापान ने एक बार फिर फुकुशिमा परमाणु-दूषित जल को समुद्र में छोड़ने का चौथा दौर शुरू किया। इस बार का उत्सर्जन 17 मार्च तक चलेगा, और लगभग 7,800 टन परमाणु-दूषित जल छोड़ा जाएगा। जब चौथे दौर का उत्सर्जन पूरा हो जाएगा, तो 31,200 टन तक परमाणु-दूषित जल समुद्र में प्रवेश करेगा।

इससे पहले, जापान के क्योडो न्यूज एजेंसी ने बताया था कि टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने 2024 वित्तीय वर्ष के दौरान सात चरणों में फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से कुल लगभग 54,600 टन परमाणु-दूषित जल को समुद्र में छोड़ने की योजना बनाई है। जापान ने सार्वजनिक रूप से यह भी कहा था कि छोड़े जाने वाले परमाणु-दूषित जल की कुल मात्रा 13 लाख टन से अधिक होगी। यह मात्रा न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि दिल दहला देने वाली भी है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं और देश-विदेश में कड़े विरोध को नजरअंदाज करते हुए, जापान ने बार-बार समुद्र में परमाणु-दूषित जल उत्सर्जन योजनाएं शुरू की हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर उसके पड़ोसी देशों में गहरी चिंता पैदा हो गई है। अपने-आप के परमाणु संदूषण का खतरा पूरी दुनिया पर डालना और वैश्विक पर्यावरण सुरक्षा और लोगों के जीवन की अनदेखी करना बेहद गैर-जिम्मेदाराना कृत्य है। यह पूरी तरह से जापान सरकार की संकीर्णता और स्वार्थ को भी दर्शाता है।

यह सर्वमान्य है कि समुद्र में प्रवेश करने वाला परमाणु-दूषित जल कई नुकसान पहुंचाएगा। इनमें मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करना, पारिस्थितिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना, खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को प्रेरित करना, आनुवंशिक उत्परिवर्तन या कैंसर को प्रेरित करना, दीर्घकालिक समुद्री पर्यावरण प्रदूषण को प्रेरित करना आदि शामिल हैं।

समुद्र पृथ्वी पर सबसे बड़े पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। यह कई प्रजातियों को जीवित रहने और पनपने के लिए आवास प्रदान करता है। ये जीव समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं और पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करते हैं।

जब परमाणु-दूषित जल को समुद्र में छोड़ा जाता है, तो इसमें मौजूद परमाणु विकिरण कण प्रदूषक लंबे समय तक समुद्र में रहेंगे और उनका विलुप्त होना मुश्किल होगा, जिससे समुद्री पारिस्थितिक पर्यावरण में प्रदूषण और क्षति होगी, समुद्री जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होगा। रेडियोधर्मी सामग्रियों की रिहाई से समुद्री जीवन में उत्परिवर्तन, विकृति और खराब प्रजनन हो सकता है, जिससे पूरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और स्थिरता पर असर पड़ सकता है, और खाद्य श्रृंखला के माध्यम से मनुष्यों पर भी असर पड़ सकता है।

वर्तमान में, क्योंकि फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र को हर दिन अपने कोर को ठंडा करना पड़ता है, फिर भी नए परमाणु-दूषित जल का उत्पादन लगातार किया जा रहा है। जापान की समुद्र में परमाणु-दूषित जल उत्सर्जन योजना साल 2051 तक चल सकती है। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि लगभग 30 वर्षों के बाद, वर्तमान में निर्जन आर्कटिक महासागर सहित पृथ्वी के सभी समुद्री क्षेत्र परमाणु-दूषित जल से दूषित हो जाएंगे, और किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा!

एक के बाद एक परमाणु-दूषित जल को समुद्र में छोड़ने से समुद्र को बार-बार नुकसान हो रहा है। समुद्र बोल नहीं सकता और केवल इंसानों द्वारा पहुंचाए गए नुकसान को चुपचाप सहन कर सकता है। क्या जापान वास्तव में फिल्म "गॉडज़िला" के वास्तविक संस्करण का मंचन चाहता है? और मानवजाति को विनाश के युग में प्रवेश करने देना चाहता है?

(श्याओ थांग)

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