अमेरिकी सैनिक बुशनेल ने आत्मदाह कर लोगों की अंतरात्मा को जगाने की कोशिश की

2024-03-01 15:24:18

हाल ही में 25 वर्षीय अमेरिकी सैनिक आरोन बुशनेल ने अमेरिका में इजरायली दूतावास के सामने खुद को आग लगा ली। बताया गया है कि बुशनेल अमेरिकी वायु सेना से हैं और खुफिया, निगरानी और टोही विंग से संबंधित हैं। स्थानीय समयानुसार 25 फरवरी को, वह अमेरिका में इजरायली दूतावास के सामने अकेले चले गए, अपने शरीर पर ईंधन डाला और खुद को आग लगा ली। इस दौरान, वह कई बार "फिलिस्तीन को आजाद करो!" चिल्लाये। गंभीर रूप से जलने के कारण, बुशनेल का निधन हो गया। "मैं अब नरसंहार में हिस्सा नहीं लूंगा"। पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो में युवा सैनिक ने यह कहा था।

बुशनेल ने इतने क्रूर तरीके से विरोध क्यों किया? बुशनेल के दोस्त के अनुसार, आत्मदाह से एक दिन पहले बुशनेल ने उनके साथ कई सैन्य अंदरूनी जानकारी साझा की थी, जिसमें कहा गया था कि "अमेरिकी सेना फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार में सीधे तौर पर शामिल है।" अमेरिकी मीडिया के अनुसार, पिछले अक्टूबर की शुरुआत में अमेरिका ने इज़राइल में विशेष बल तैनात किए थे। बुशनेल अमेरिकी सेना के "लापरवाह बल प्रयोग" से बहुत निराश थे और उन्होंने जल्दी सेवानिवृत्त होने पर विचार किया।

सोशल मीडिया पर, कई अमेरिकी नेटिज़न्स ने बुशनेल के प्रति सहानुभूति और समझ व्यक्त की, और उन्हें "अमेरिका की अंतरात्मा" कहा और अमेरिकी सरकार की इज़राइल नीति की आलोचना की। कुछ लोग यह भी सवाल करते हैं: पश्चिमी मुख्यधारा का मीडिया, जो "प्रेस की स्वतंत्रता" का दावा करता है, इस मामले पर प्रतिक्रिया देने में इतना धीमा क्यों है? बुशनेल को आग की लपटों में देखते अमेरिकी पुलिस ने उन पर बंदूकें क्यों तान दीं और बचाव के कोई उपाय क्यों नहीं किए? अमेरिकी रक्षा मंत्रालय "खेद" व्यक्त करने के अलावा कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दिखाता है? 

वास्तव में, यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका में इस तरह की घटनाएं घटी हैं। पिछले दिसंबर में अटलांटा में इजरायली वाणिज्य दूतावास के सामने एक महिला ने गैसोलीन से खुद को आग लगा ली थी और वह गंभीर रूप से जल गई थी। "पॉलिटिशियन" वेबसाइट के अनुसार, बुशनेल द्वारा खुद को आग लगाने से पहले अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने भी अमेरिका की गाजा नीति पर निराशा व्यक्त की थी।

गत अक्टूबर से, फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष के एक नए दौर में लगभग 30 हज़ार नागरिक मारे गए हैं और 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। यह संघर्ष फिलिस्तीन-इजरायल मुद्दे को मौलिक रूप से हल करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालता है। यह इजरायल के पक्ष में अमेरिकी नीति के बूरे परिणामों और "अमेरिकी मानवाधिकारों" के पाखंड और दोहरे मानकों को भी दर्शाता है।

फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष के एक नए दौर के शुरू होने के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इज़रायल द्वारा युद्ध को लगातार बढ़ाने के बारे में चिंतित हो गया है, और युद्धविराम के लिए अपील तेजी से मजबूत हो गयी है। मध्य पूर्व में महत्वपूर्ण प्रभाव वाले देश के रूप में, अमेरिका ने क्या किया?

मध्य पूर्व में अधिक सैन्य बल भेजने से लेकर, इज़राइल को बड़ी मात्रा में सैन्य सहायता प्रदान करने तक, गाजा में युद्धविराम पर मसौदा प्रस्ताव पारित करने से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बार-बार बाधित करने तक, अमेरिका की कार्रवाइयां आग में घी डालने जैसी हैं, जिससे गाजा पट्टी में मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है, और गाजा में स्थिति और भी खतरनाक हो गई है।

मध्य पूर्व के कई विद्वानों ने बताया कि घरेलू राजनीति और आधिपत्य बनाए रखने के विचारों के कारण, अमेरिका बिना किसी सिद्धांत के इज़राइल का पक्ष लेता है और मध्य पूर्व में उथल-पुथल पैदा करता है। हाल के वर्षों में, मध्य पूर्व में युद्ध चल रहे हैं और इसमें अमेरिका भी शामिल रहा है। अमेरिकी राजनेताओं की नज़र में, युद्ध से नष्ट हुए परिवार महत्वपूर्ण नहीं हैं, अंतर्राष्ट्रीय जनमत की भारी निंदा महत्वपूर्ण नहीं है, और अपने देश के लोगों का विरोध महत्वपूर्ण नहीं है। केवल अमेरिका के हित और आधिपत्य सबसे महत्वपूर्ण हैं।

बुशनेल ने "आत्मदाह करके लोगों की अंतरात्मा को जगाने की कोशिश की।" उन्होंने अपने जीवन के बलिदान से अमेरिकी राजनेताओं के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।

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