वर्ल्ड वाल्डलाइफ डेः पेइचिंग स्विफ्ट की रोचक कहानी

2024-02-28 14:54:58

पेइचिंग स्विफ्ट का वैज्ञानिक लाटिन नाम अप्स अप्स पेकिनेंसिसहै ।वह विश्व में एकमात्र ऐसी पक्षी है कि उस के नाम में पेइचिंग है ।इसलिए वह पेइचिंग का एक प्रतीकात्मक जीव है और इस पुराने शहर का एक असाधारण दृश्य भी है ।वर्ष 2008 पेइचिंग ग्रीष्म ओलंपिक के शुभंकर निनि का मूलरूप तो पेइचिंग स्विफ्ट है ।पेइचिंग स्विफ्ट का आकार आम अबाबील से थोड़ा बड़ा है ।उस के बाल का रंग गहरा भूरा है ।वह कीड़ा खाता है ,जो मशहूर लाभकारी पक्षी है ।

पेइचिंग स्विफ्ट प्रवासी पक्षी है ।हर साल के अप्रैल से जुलाई तक वह पेइचिंग में ठहरती है ।सौ से अधिक दिन में वह प्रजनन करती है और बच्चे पालती है ।जुलाई के अंत में सब पेइचिंग स्विफ्ट उड़ जाती हैं ।पहले लोगों को ठोस जानकारी नहीं थी कि वह कहां चली गयी ।मई 2014 में चीनी अध्ययनकर्ताओं ने पेइचिंग के समर पैलिस पार्क में एक किस्म वाले माइक्रो फोटोसेंसिटिव लोकेटर को 31 पेइचिंग स्विफ्ट के बैक पर लगा दिया ।यह माइक्रो फोटोसेंसिटिव लोकेटर का भार सिर्फ 0.65 ग्राम था ,जो पेइचिंग स्विफ्ट के वज़न के 3 प्रतिशत से भी कम था ।इसलिए उस से पेइचिंग स्विफ्ट के उड़ान पर बहुत कम प्रभाव था ।अगले साल यानी मई 2015 में अध्ययनकर्ताओं ने समर पैलिस  पार्क में बैक पर माइक्रो फोटोसेंसिटिव लोकेटर लगने वाली 13 पेइचिंग स्विफ्ट पायीं ।लेकटरों के रिकार्ड आंकड़ों के मुताबिक पेइचिंग स्विफ्ट के प्रवासी करने के रास्ते का पोल खोला गया ।वे समर पैलिस पार्क से रवाना होकर उत्तर पश्चिम की ओर भीतरी मंगोलिया और शिनच्यांग पार कर मध्य एशिया गुजरीं ,फिर दक्षिण पश्चिमी ओर मुड़ कर ईरान ,इराक ,साउदि अरब पार कर लाल सागर से अफ्रीकी महाद्वीप पहुंचीं ।इस के बाद पेइचिंग स्विफ्ट सीधे दक्षिणी ओर उड़ने लगीं और सोमालिया ,इथियोबिया ,केन्या पार कर अक्तूबर के अंत और नवंबर के शुरू में नामिबिया ,दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना पहुंचे ।वहां पेइचिंग स्विफ्ट के विंटर बिताने वाला मुख्य स्थान है ।अगले साल की फरवरी में पेइचिंग स्विफ्ट वापसी के लिए रवाना लगीं ।लंबी उड़ान के बाद वे अप्रैल के पास पेइचिंग लौटीं ।इस दौरान पेइचिंग स्विफ्ट ने 20 से अधिक देश पास किया और 38 हजार किलोमीटर रास्ता तय किया ।

अध्ययन के अनुसार पेइचिंग स्विफ्ट प्रतिघंटा 170  से अधिक किलोमीटर उड़ सकती है ।इस के अलावा वह कई दिन तक बिना रुके उड़ सकती है ।वह सोते हुए भी प्रति सेकंड 8.5 मीटर उड़ सकती है ।क्यों कि उस के सोने का तरीका विशिष्ट है यानी आधा ब्रेन सोता है और आधा ब्रेन जगता है ।

पेइचिंग स्विफ्ट को कैसे पेइचिंग प्यार आया और यहां उन के प्रजनन का अहम स्थान चुना गया ?इस के प्रति अध्ययनकर्ताओं के विचार में पेइचिंग की बड़ी सख्या वाली पुरानी इमारतें पेइचिंग स्विफ्ट के लिए उन के प्रजनन और बच्चे पालने का बेहतर वातावरण प्रदान करती हैं ।पेइचिंग शहर निर्मित होने के बाद पेइचिंग स्विफ्ट ने पाया कि लकड़ियों से बनी महान इमारतों में कई छोटी छोटी गुफाएं हैं ,जो बहुत सुरक्षित और आरामदायक हैं ।समय बीतने के साथ उन को वहां ठहरने की आदत बन गयी ।

पेइचिंग स्विफ्ट की सुरक्षा के लिए पेइचिंग सरकार ने उसे महत्वपूर्ण संरक्षित जंगली पशुओं की नामसूची में शामिल कराया है ।अध्यनकर्ता उसे अधिक जानने के लिए सिलसिलेवार कार्यक्रम चला रहे हैं ।पुरानी इमारतों के प्रबंधन विभागों ने भी पेइचिंग स्विफ्ट की सुविधा के लिए कई उपाय किये हैं ।जंगली पशु प्रेमी और स्वयंसेवक सक्रियता से संबंधित गतिविधियों में भाग लेते हें ।पेइचिंग स्विफ्ट की संख्या में निरंतर बढ़ने का रूझान नजर आ रहा है ।(वेइतुंग) 

रेडियो प्रोग्राम