गाजा में युद्ध समाप्ति की राह में रोड़ा बना अमेरिका

2024-02-22 15:51:13

"एक अमेरिकी के रूप में, मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है कि मेरा देश इतिहास के गलत पक्ष पर है।" "मुझे इस बात पर शर्म आती है कि मेरा देश अब कैसा है।" स्थानीय समयानुसार 20 फरवरी को, अमेरिकी नेटिजनों ने सोशल मीडिया पर अपना असंतोष व्यक्त किया।कारण यह है कि अमेरिका ने उस दिन एक बार फिर गाजा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मसौदा प्रस्ताव पर वीटो कर दिया।

यह मसौदा अरब देशों की ओर से अल्जीरिया द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिस का मुख्य विषय है कि गाजा में तुरंत युद्ध विराम हासिल करना, सभी बंधकों को तुरंत रिहा करना, मानवीय आपूर्ति की पहुंच सुनिश्चित करना और जबरन स्थानांतरण का विरोध करना है। यह न केवल सुरक्षा परिषद की सहमति है, बल्कि युद्धविराम और युद्ध समाप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी सहमति है। लेकिन अमेरिका ने एक बार फिर अपने वीटो का इस्तेमाल किया।

अमेरिका ने विशेष रूप से इसके विरुद्ध मतदान क्यों किया? इसका कारण यह बताया गया कि यह "फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच बंधक मुद्दे पर चल रही बातचीत के लिए अनुकूल नहीं था।" विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान निराधार है। मसौदा प्रस्ताव के समर्थकों में फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष में जॉर्डन, मिस्र और अन्य मध्यस्थ शामिल हैं। यदि पारित हो जाता है, तो यह बातचीत के लिए एक आम माहौल बनाने में मदद करेगा और युद्ध विराम और युद्ध की समाप्ति के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा करेगा। इसके अलावा, मसौदा प्रस्ताव में इज़राइल से गाजा पट्टी में सैन्य अभियान बंद करने का आह्वान भी किया गया है, जिससे सभी पक्षों को सफल मध्यस्थता करने और फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच "बंधक विनिमय" के शीघ्र निष्कर्ष को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।

इस कारण से, चीन सहित सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अमेरिका के एक-वोट वीटो पर गहरा असंतोष और निराशा व्यक्त की है। अक्टूबर 2023 में फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष के एक नए दौर की शुरुआत के बाद से, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ़िलिस्तीन-इज़राइल मुद्दे पर 8 वोट हुए हैं, और केवल दो प्रस्तावों को अपनाया गया है। इस प्रक्रिया के दौरान, अमेरिका ने गाजा में निर्दोष लोगों के जीवन की अनदेखी की और बार-बार अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया, जो सुरक्षा परिषद की कार्रवाई करने में सबसे बड़ी बाधा बन गई है।

फ़िलिस्तीन-इज़राइल मुद्दे पर अमेरिका कभी भी निष्पक्ष मध्यस्थ नहीं रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके अमेरिका में घरेलू कारण हैं।यहूदी अमेरिका में सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यकों में से एक है और अमेरिकी चुनाव के पीछे "फाइनेंसर" हैं। अमेरिकी राजनेता इज़राइल को नाराज़ करने और इस साल के चुनाव को प्रभावित करने से डरते हैं। इसके अलावा,अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के मसौदा प्रस्ताव को वीटो कर के युद्ध के मैदान में इज़राइल के लिए स्थान और समय जीतने की भी कोशिश कर रहा है। साथ ही, वह नहीं चाहता है कि संयुक्तराष्ट्र फ़िलिस्तीन-इज़राइल मुद्दे को सुलझाने में "अपनी सुर्खियों को चुराए"।

यह सर्वविदित है कि फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष के इस दौर का मूल कारण यह है कि फ़िलिस्तीन के स्वतंत्र राज्य के अधिकार को अमेरिका और इज़राइल द्वारा कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया है। जबकि अमेरिका ने एक ओर सुरक्षा परिषद में फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच युद्धविराम पर मसौदा प्रस्तावों को वीटो करना जारी रखा है, दूसरी ओर अमेरिका इज़राइल को सैन्य सहायता प्रदान करना जारी रखता है, जिसने संघर्ष के प्रसार में योगदान दिया है। सुरक्षा परिषद को आगे कार्रवाई करने की आवश्यक है, और अमेरिकी वीटो गाजा में युद्ध को समाप्त करने में बाधा नहीं बनना चाहिए।

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