मानस :हजारों साल पुराना महाकाव्य हमेशा लोकप्रिय

2024-02-08 19:20:09

उत्तर-पश्चिमी चीन में, थ्येनशान पर्वत और खुनलुन पर्वत की बर्फीली चोटियों के बीच नखलिस्तान घाटियां स्थित हैं, जो घोड़ों, चील और पीढ़ियों से गाते आ रहने वाली किर्गिज़ जाति के लोगों को पालती हैं। हजारों वर्षों से, किर्गिज़ जाति के लोगों ने अपनी जाति के इतिहास को अपने गीतों में शामिल किया है। इसे आठ-भाग वाले महाकाव्य "मानस" में संकलित किया है, जो 2.3 लाख से अधिक पंक्तियों का है।

मानस किर्गिज़ जातीय लोगों के महान वीर थे, महाकाव्य "मानस" का नाम उनके नाम पर रखा गया है। इस वीर महाकाव्य में मानस और उनके वंशजों के आठ पीढ़ियों तक जाति की स्वतंत्रता और पुनरुद्धार के लिए निरंतर लड़ाई की कहानी बताई जाती है। "मानस", तिब्बत जातीय वीर महाकाव्य "राजा गेसार की कहानी" और मंगोलियन जातीय वीर महाकाव्य "जांगर" चीन के तीनों प्रमुख वीर महाकाव्यों के रूप में जाने जाते हैं। वर्ष 2009 में, वीर महाकाव्य "मानस" को यूनेस्को की "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची" में शामिल किया गया।

(हैया)

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