अमेरिकी विदेशी सैन्य बिक्री 2023 में 2.38 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंची

2024-02-02 16:01:39

अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। 2023 में अमेरिकी विदेशी सैन्य बिक्री 16 प्रतिशत बढ़ गयी, जो 2.38 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंची। उनमें से, अमेरिकी सरकार द्वारा सीधी बिक्री 80.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई, जिसमें 2022 के मुकाबले 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अमेरिकी कंपनियों की वाणिज्यिक बिक्री 1.58 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंची, जिसमें 2022 की तुलना में 2.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। 

2023 एक और वर्ष है जब अमेरिका ने युद्ध से भारी धन अर्जित किया। इसके पीछे की वजह का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। एक ओर, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी है और फिलिस्तीन-इजरायल लड़ाई फिर से शुरू हो गई है। दुनिया भर में चल रहे क्षेत्रीय संघर्षों ने सुरक्षा माहौल को और अधिक जटिल बना दिया है, और कई देशों को अपनी रक्षा मजबूत करने के लिए हथियार खरीदने पड़ते हैं। दूसरी ओर, आधुनिक उपकरणों के लिए संसाधनों की आवश्यकताएं बढ़ती जा रही हैं, और हथियारों की बिक्री की सीमा पहले की तुलना में काफी अधिक हो गई है। अमेरिका ने लंबे समय से हथियारों की बिक्री के माध्यम से युद्धक्षेत्र के उपयोग पर वास्तविक अनुभव और डेटा प्राप्त किया है, और लगातार सुधार किया है और एक बड़े बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा किया है।

तो, अमेरिकी हथियार वास्तव में कहां जाते हैं?

2023 में, यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैंड ने बड़ी संख्या में अमेरिकी हथियार खरीदे, जिसमें 12 खरब अमेरिकी डॉलर में अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदना, 10 अरब अमेरिकी डॉलर में "हाई मोबिलिटी रॉकेट सिस्टम" खरीदना, जिसे "हैमास" भी कहा जाता है, और 3.75 अरब अमेरिकी डॉलर में एम1ए1 अब्राम्स टैंक खरीदना शामिल है। इसके अलावा इंटीग्रेटेड एयर और मिसाइल डिफेंस कॉम्बैट कमांड सिस्टम के लिए 4 अरब अमेरिकी डॉलर का ऑर्डर भी है।

2023 में अमेरिका ने जर्मनी, बुल्गारिया, नॉर्वे और चेक गणराज्य को लगभग 20 अरब अमेरिकी डॉलर के हेलीकॉप्टर, मिसाइल और गोला-बारूद भी बेचे। कई विदेशी मीडिया ने बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के परिणामस्वरूप अमेरिका से कई बड़े हथियार बिक्री ऑडर मिले, और यूरोपीय देशों को यूक्रेन को सहायता में अंतर को भरने के लिए अमेरिका से हथियार खरीदने पड़े हैं।

पिछले वर्ष में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हथियारों की बिक्री ने भी ध्यान आकर्षित किया है। उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया ने एफ़-35 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 5 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए, ऑस्ट्रेलिया ने सी130जे-30 सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान खरीदने के लिए 6.3 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए, और जापान और अमेरिका ने ई-2डी उन्नत हॉकआई चेतावनी विमान के लिए 1 अरब अमेरिकी डॉलर का समझौता किया।

पिछले साल अक्टूबर में फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष का एक नया दौर शुरू होने के बाद, अमेरिका ने इज़राइल को आपातकालीन हथियारों की बिक्री की।  आंकड़ों के मुताबिक 2023 के अंत तक अमेरिका ने इज़राइल को कम से कम   हज़ारों टन सैन्य उपकरण प्रदान किए हैं।

संघर्षों और युद्धों ने आम लोगों के लिए गंभीर आपदाएं लायी हैं, लेकिन उन्होंने अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर को बहुत पैसे दिये हैं। वर्तमान में, अमेरिका ने सेना, हथियार डीलरों, सांसदों, रक्षा अनुसंधान संस्थानों, थिंक टैंक और मीडिया से मिलकर एक विशाल हित समूह का गठन किया है।अगस्त 2021 में अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बाद, अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर का स्टॉक मूल्य कुछ समय के लिए गिर गया। हालांकि, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के साथ, अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक परिसर ने तुरंत अपनी गिरावट को बदल दिया। न केवल लॉकहीड मार्टिन के स्टॉक मूल्य में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, रेथियॉन के स्टॉक मूल्य में भी 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। अमेरिकी कंपनी आरटीएक्स, जो उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें बनाती है, को रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से 3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का ऑर्डर मिला है और इसके बढ़ने की उम्मीद है। गत अक्टूबर में, जनरल डायनेमिक्स के सीएफ़ओ जेसन ऐकेन ने खुलासा किया कि कंपनी के लड़ाकू सिस्टम डिवीजन, जो बख्तरबंद वाहन, टैंक और तोपखाने का उत्पादन करता है, से राजस्व में साल-दर-साल लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2023 में हथियारों की बिक्री का प्रवाह अमेरिका के वैश्विक रणनीतिक लेआउट के अनुरूप है। जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने स्वयं एक बयान में कहा, "हथियारों की बिक्री और हस्तांतरण को महत्वपूर्ण अमेरिकी विदेश नीति उपकरण माना जाता है।" अमेरिका सरकार हथियारों की बिक्री की प्रवर्तक है, इसका उपयोग यूरोप, एशिया-प्रशांत, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में अपना प्रभाव लगातार बढ़ाने और भू-राजनीतिक हितों को जब्त करने के लिए करती है।(साभार---चाइना मीडिया, पेइचिंग)

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