अंधेरी दुनिया में रोशनी के बीज बोती ब्रेल लिपि

2024-01-03 15:56:47

4 जनवरी 2024 को छठा "विश्व ब्रेल दिवस(World Braille Day)" है। ब्रेल स्पर्श की भाषा है। ब्रेल पद्धति ऐसी लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है। बिंदुओं की केवल छह अलग-अलग व्यवस्था के साथ, विभिन्न देशों की भाषा और विचार उंगलियों के माध्यम से प्रवाहित हो सकते हैं। साथ ही गणित, विज्ञान और संगीत को उंगलियों के स्लाइड के रूप में हृदय से हृदय तक स्थानांतरित किया जा सकता है। ब्रेल आशा के बीज की तरह है, जो अंधेरी दुनिया में खूबसूरत फूल खिलने की इजाजत देता है।

पूरी दुनिया में आंखों की बीमारी बहुत आम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि विश्व स्तर पर, कम से कम 1 अरब लोगों को निकट या दूर दृष्टि दोष है, जिसे रोका जा सकता था या अभी तक हल नहीं किया गया है।

सामान्य आबादी की तुलना में दृष्टिबाधित लोगों के गरीब और वंचित रहने की संभावना अधिक होती है। यदि उनकी जरूरतें पूरी नहीं की गईं और उनके अधिकारों की रक्षा नहीं की गई, तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे कि दृष्टिबाधित लोगों को अक्सर आजीवन असमान व्यवहार, कमजोरी और शिक्षा व रोजगार में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

लिखित भाषा के उपयोग के संबंध में मानव अधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ाना नेत्रहीन व दृष्टिहीन लोगों के मानव अधिकारों की पूर्ण प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण पूर्वशर्त है। वर्ष 2018 नवंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल के 4 जनवरी को “विश्व ब्रेल दिवस” के रूप में घोषित करने का निर्णय लिया।

दुनिया भर के देशों में उपयोग की जाने वाली "छह-बिंदु" ब्रेल प्रतीक प्रणाली वर्ष 1829 में फ्रांसीसी नेत्रहीन शिक्षक लुई ब्लेयर (1809-1852) द्वारा बनाई गई थी। इसीलिए उन्हें "ब्रेल लिपि के जनक" के नाम से जाना जाता है। नेत्रहीन व दृष्टिहीन लोग किताबें और पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए ब्रेल का उपयोग करते हैं, जो आम लोगों द्वारा मुद्रित सामग्री को दृश्य फ़ॉन्ट के साथ पढ़ने से अलग नहीं है।

वर्ष 1952 चीन में विशेषज्ञ हुआंगनाई और कुछ शिक्षकों ने चीन और विदेश में पारंपरिक ब्रेल को आत्मसात करने के आधार पर चीनी भाषा की विशेषता वाली एक ब्रेल योजना तैयार की, जिसे चीन में "मौजूदा ब्रेल" के नाम से जाना जाता है। यह योजना ब्लेयर की "छह-बिंदु" ब्रेल पर आधारित है और पिनयिन ब्रेल प्रणाली को अपनाती है। वर्ष 1953 में, ब्रेल को चीनी सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया और जल्द ही यह देश भर के विशेष स्कूलों में लोकप्रिय हो गया। बाद में इस ब्रेल योजना को कई बार संशोधित किया गया। वर्ष 1991 में आयोजित चीन के तीसरे राष्ट्रीय ब्रेल सुधार सेमिनार में इसे "चीनी डबल-स्पेलिंग ब्रेल योजना" का नाम दिया गया और इस ब्रेल प्रणाली को देश भर में प्रचारित किया गया।

1 जुलाई, 2018 को, चीन ने "राष्ट्रीय सार्वभौमिक ब्रेल परियोजना" को जारी कर लागू किया। इसने चीन में ब्रेल अनुप्रयोग व प्रचार, बुनियादी अनुसंधान, प्रतिभा प्रशिक्षण, अनुशासन निर्माण, सामाजिक सेवा आदि के लिए एक ठोस नींव रखी है। चाइना ब्रेल प्रेस ने ब्रेल पाठ्यपुस्तकों और अध्ययन पुस्तकों का एक बैच तैयार और प्रकाशित किया था। चीन के विभिन्न क्षेत्रों ने राष्ट्रीय ब्रेल लोकप्रियकरण और प्रचार प्रशिक्षण गतिविधियों का आयोजन किया है।

वर्तमान में, पूरे चीन में दृष्टिबाधित लोगों की कुल संख्या 1.7 करोड से अधिक है, देश में विकलांग लोगों की कुल संख्या में जिसका अनुपात लगभग 20 प्रतिशत है। ब्रेल उनके लिए दुनिया को "देखने", शिक्षा व ज्ञान प्राप्त करने और आत्मनिर्भरता हासिल करने का आधार है। आजकल, चाहे गणितीय ज्यामितीय आकृतियाँ हों, भौतिक सर्किट आरेख हों या रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी हो, उन्हें ब्रेल के माध्यम से सटीक रूप से व्यक्त किया जा सकता है। सुंदर शब्दों और धड़कते सुरों का प्रतिनिधित्व करने वाले वे उभरे हुए बिंदु प्रकाश के बीज की तरह हैं, जो हर नेत्रहीन या दृष्टिहीन लोग के दिल में आशा बो रहे हैं।

(हैया)

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