फिलीपींस की कार्रवाइयों पर निर्भर है चीन-फिलीपींस संबंधों का भविष्य

2023-12-22 11:05:07

20 दिसम्बर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अनुरोध पर फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक ए.मनालो के साथ फोन पर बातचीत की। ऐसे समय में जब दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चीन-फिलीपींस संबंधों में गतिरोध चल रहा है, इस फोन कॉल ने बाहरी दुनिया का बहुत ध्यान आकर्षित किया है।

बातचीत में चीन ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन-फिलीपींस संबंधों में आई मुश्किलों का मूल कारण यह है कि फिलीपींस ने अपने नीतिगत रुख को बदल दिया है और अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है, समुद्र में उकसाना और परेशानी पैदा करना जारी रखा है, और चीन के वैध अधिकार को नुकसान पहुंचाया है। चीन ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन-फिलीपींस संबंध एक चौराहे पर पहुंच गए हैं। फिलीपींस को कहां जाना है इसके विकल्प के सामने सावधानी से काम करना चाहिए।

इधर के वर्षों में चीन-फिलीपींस संबंध आम तौर पर अच्छे रहे हैं। इस साल की शुरुआत में चीन को मिले पहले मेहमान फिलीपींस के राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस थे। उस समय, दोनों पक्ष कई महत्वपूर्ण आम सहमतियों पर पहुंचे, जिनमें मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से समुद्री मुद्दों को ठीक से संभालने पर सहमति भी शामिल थी। हालांकि, इन आम सहमतिओं को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। मुख्य कारण यह है कि फिलीपींस ने चीन के प्रति अपनी नीति बदल दी है और दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर अक्सर परेशानियां पैदा की हैं और तनाव बढ़ाया है।

उदाहरण के तौर रनआईच्याओ पर मुद्दे को लें। रनआईच्याओ चीन के नानशा द्वीप समूह का एक हिस्सा है और चीन की प्रादेशिक भूमि है। यह एक अंतरराष्ट्रीय सहमति है और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है। 1999 में फिलीपींस के युद्धपोत रनआईच्याओ पर अवैध रूप से "समुद्र तट पर बैठे", जिससे चीन की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन हुआ। फिलीपींस ने गंभीरता से युद्धपोतों को हटाने का वादा किया था, और चीन और फिलीपींस भी इस मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंच गए थे।

हालांकि, इस वर्ष से फिलीपींस ने रनआईच्याओ पर आक्रमण करने के लिए लगातार आधिकारिक जहाज और युद्धपोत भेजे और रनआईच्याओ पर स्थायी कब्जा हासिल करने के प्रयास में अवैध रूप से "समुद्र तट पर बैठे" युद्धपोतों तक निर्माण सामग्री पहुंचाई है। फिलीपींस के नेता ने हाल ही में दावा किया था कि "चीन अपने एशियाई पड़ोसियों के लिए एक वास्तविक चुनौती पेश कर रहा है" और इससे निपटने के लिए फिलीपींस को अन्य देशों के साथ गठबंधन मजबूत करने की जरूरत है। इससे बाहरी दुनिया को यह अहसास होता है कि फिलीपींस का चीन के साथ संयुक्त रूप से मतभेदों को प्रबंधित करने का कोई इरादा नहीं है।

फिलीपीन सरकार अपनी चीन नीति में जोखिम भरे कदम क्यों उठाती है? पर्यवेक्षकों ने बताया कि फिलीपींस के नेता सख्त रुख दिखाकर अपना समर्थन मजबूत करने का इरादा रखते हैं। दूसरी ओर, जैसे-जैसे अमेरिका और फिलीपींस सुरक्षा क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं, फिलीपींस की विदेश नीति स्पष्ट रूप से अमेरिका की ओर झुक रही है। फिलीपींस सरकार तथाकथित "इंडो-पसिफिक रणनीति" को बढ़ावा देने और दक्षिण चीन सागर मुद्दे को भड़काने के लिए अमेरिका का लाभ उठाने का इरादा रखती है और चीन पर दबाव डालती है।

लम्बे अरसे से फिलीपींस के साथ दक्षिण चीन सागर विवाद को उचित तरीके से हल करने के लिए चीन ने बहुत संयम और धैर्य दिखाया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चीन संप्रभुता के मुद्दे पर कोई रियायत देगा। इस वर्ष से चीन ने कई मजबूत कदम उठाए हैं। इस फोन बातचीत के दौरान, चीन ने स्पष्ट रूप से बताया कि यदि फिलीपींस स्थिति को गलत समझता है और अपने तरीके से चलने पर जोर देता है, तो चीन कानून के अनुसार अपने अधिकारों की रक्षा करेगा और दृढ़ता से जवाब देगा। यह एक स्पष्ट चेतावनी है।

पिछले कुछ वर्षों में, चीन-फिलीपींस व्यापक और व्यावहारिक सहयोग ने फिलीपींस को ठोस लाभ पहुंचाया है। दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की बार-बार की परेशानी केवल चीन-फिलीपींस सहयोग को कमजोर करेगी और उसके अपने हितों को नुकसान पहुंचाएगी। चीनी मामलों के लिए फिलीपीन के राष्ट्रपति के विशेष दूत ने हाल ही में कहा कि दक्षिण चीन सागर विवाद संपूर्ण फिलीपींस-चीन संबंध नहीं है और दोनों देशों के साझा हित उनके मतभेदों से कहीं अधिक हैं। दोनों पक्षों को आम सहमति का विस्तार करना चाहिए और आर्थिक, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना चाहिए। फिलीपीन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष जॉर्ज बार्सेलोन ने कहा कि फिलीपीन व्यापार समुदाय को फिलीपींस और चीन को सक्रिय रूप से बातचीत में शामिल होते देखने की उम्मीद है। ऐसी तर्कसंगत आवाजें फिलीपींस में मुख्यधारा बननी चाहिए।

इस फोन बातचीत के दौरान, फिलीपींस ने चीन के साथ बातचीत को मजबूत करने, समुद्री मुद्दों पर दोनों देशों के बीच संचार तंत्र की भूमिका को पूरा करने और संयुक्त रूप से समस्याओं का समाधान खोजने की उम्मीद जताई। चीन फिलीपींस के साथ बातचीत और संपर्क करने का दरवाजा बंद नहीं करेगा। आशा है कि फिलीपींस और चीन के नेता एक-दूसरे से मिलेंगे और मामलों पर चर्चा करेंगे। चीन-फिलीपींस संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि फिलीपींस क्या करता है।

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