तिब्बती बोर्डिंग स्कूलों में तिब्बती संस्कृति का अभाव नहीं

2023-12-22 11:14:41

हाल ही में यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें बोर्डिंग स्कूलों के माध्यम से तिब्बती बच्चों का आत्मसातीकरण करने के लिए चीन सरकार की आलोचना की गई और यूरोपीय संघ और सदस्य देशों से कार्रवाई करने का आह्वान भी किया गया। वास्तव में यह तिब्बती बोर्डिंग स्कूलों के खिलाफ पूरी तरह से गलतफहमी और बदनाम करने का अभियान है।

बोर्डिंग स्कूल, तिब्बत के अन्य स्कूलों की तरह, "द्विभाषी शिक्षण" लागू करते हैं, यानी तिब्बती भाषा और देश की आम भाषा (मंदारिन) सीखना। और अधिकांश स्कूल विदेशी भाषा पाठ्यक्रम भी प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय आम भाषा सीखना और उसका उपयोग करना दुनिया के सभी देशों में एक आम बात है, वरना विभिन्न जातीय समूहों के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करना मुश्किल हो जाएगा। तिब्बती भाषा चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सामाजिक संचार के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। इसलिए, "द्विभाषी शिक्षा" तिब्बत में भाषा के उपयोग की वर्तमान स्थिति के अनुरूप है। कुछ लोग कहते हैं कि तिब्बती छात्र तिब्बती भाषा नहीं सीखते। यह कथन पूर्णतः असत्य है। उदाहरण के लिये पूर्वी तिब्बत के छांगतू शहर में वहां के प्राइमरी स्कूलों में प्रति सप्ताह पांच तिब्बती कक्षाएं और मिडिल स्कूलों में प्रति सप्ताह चार तिब्बती कक्षाएं होती हैं, जो गणित जैसे अन्य प्रमुख विषयों के समान हैं।

उन के अलावा बोर्डिंग स्कूल प्रबंधन प्रणाली में तिब्बती विशेषताएं भी पर्याप्त हैं। प्रत्येक कक्षा में छात्रों की देखभाल में मदद के लिए एक पूर्णकालिक शिक्षक होता है। दैनिक आहार पौष्टिक भोजन और पारंपरिक तिब्बती खाद्य पदार्थों (जैसे त्सम्पा और मक्खन चाय) के उचित संयोजन पर जोर देता है। अपने खाली समय में पारंपरिक तिब्बती गायन और नृत्य सहित सांस्कृतिक और खेल गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। जो छात्र बीमार हैं वे स्कूल से अनुपस्थिति की छुट्टी ले सकते हैं। माता-पिता गैर-स्कूल समय के दौरान छात्रों से मिलने के लिए स्वतंत्र हैं। स्कूल और छात्रों के अभिभावकों के बीच नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं। तिब्बत की कुल आबादी में तिब्बती लोग 85.7 प्रतिशत हैं। छांगतू शहर में सभी शिक्षकों में से 73 प्रतिशत तिब्बती हैं। इसलिए, परिसर में तिब्बती भाषा सीखने और उपयोग करने के लिए एक अच्छा वातावरण है। छात्रों की अपनी मातृभाषा में महारत हासिल करने की क्षमता प्रभावित नहीं होती है।

चंद्रिमा

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