चीनी कंपनियों को बदनाम करने से ब्रिटेन को ही होगा नुकसान

2023-12-20 14:30:04

हाल ही में, ब्रिटिश मीडिया ने खबर दी कि ब्रिटिश नेशनल ग्रिड ने "सुरक्षा" के बहाने से चीनी कंपनियों द्वारा प्रदान किए गए घटकों को हटा दिया है। फिलहाल, ब्रिटिश नेशनल ग्रिड ने इस मामले पर सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन एक बयान में कहा है कि वह "बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेता है और प्रभावी नियंत्रण उपाय करता है।" विश्लेषकों के अनुसार, यदि यह मामला सच है, तो सार यह है कि ब्रिटिश पक्ष चीनी कंपनियों को बदनाम कर रहा है और तथाकथित "चीनी खतरे" को बढ़ावा दे रहा है, और चीनी कंपनियों के लिए विदेशों में विकास में बाधाएं पैदा कर रहा है। हालांकि, असली नुकसान ब्रिटेन को ही हुआ है।

फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, संबंधित चीनी कंपनी के कर्मचारियों ने कहा कि कंपनी ने पिछले दिनों ब्रिटिश नेशनल ग्रिड के साथ नेटवर्क सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की थी और "कोई समस्या नहीं पाई गई।" इंजीनियरों ने परीक्षण भी किए और "कोई संभावित जोखिम नहीं देखा।" लेकिन वर्तमान में, कंपनी के कर्मचारियों को उस कारखाने में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है जहां घटक स्थापित हैं, और ब्रिटिश नेशनल ग्रिड ने सहयोग समाप्त करने के कारणों का खुलासा नहीं किया है।

चूंकि कोई जोखिम नहीं है, तथाकथित सुरक्षा मुद्दे अचानक क्यों उत्पन्न होते हैं? विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन चीनी कंपनियों पर "निराधार" अपराधों का आरोप लगाने के लिए "सुरक्षा" का उपयोग एक बहाने के रूप में करता है। इसके दोहरे राजनीतिक उद्देश्य हैं। एक ओर, ब्रिटेन अमेरिका का अनुसरण करता है और चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों के दमन को तेज करता है, जो ब्रिटेन और अमेरिका के बीच तथाकथित विशेष गठबंधन को दर्शाता है। दूसरी ओर, ब्रिटेन में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और सत्ताधारी पार्टी को चीन के प्रति सख्त रुख अपनाकर अधिक वोट हासिल करने की उम्मीद है।

ब्रिटेन में यह कार्रवाई हाल के वर्षों में असामान्य नहीं है। जुलाई 2020 में, ब्रिटेन ने हुआवेई 5जी उपकरण और सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने में अमेरिका का अनुसरण किया। पिछले साल जुलाई में ब्रिटेन ने एक बार फिर तथाकथित "राष्ट्रीय सुरक्षा" के आधार पर एक चीनी कंपनी को ब्रिटेन से विज़ुअल सेंसिंग तकनीक से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस साल जुलाई में, ब्रिटिश कैबिनेट कार्यालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा और निवेश अधिनियम के तहत पिछले वर्ष में निवेश परियोजनाओं की सुरक्षा समीक्षा की घोषणा की। उनमें से 40 फीसदी चीनी निवेश शामिल था।

बताया गया है कि इसमें शामिल चीनी कंपनियां औद्योगिक नियंत्रण और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी कंपनियां हैं और उनके पास मजबूत स्वतंत्र अनुसंधान और विकास क्षमताएं हैं। ऐसे उद्यमों द्वारा निभाई गई भूमिका को आसानी से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। ब्रिटेन को बाज़ार नियमों की अनदेखी करने और चीनी आपूर्तिकर्ताओं को बाहर करने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

वर्तमान में, रूस-यूक्रेन संघर्ष से प्रभावित, ब्रिटेन में ऊर्जा की कीमतें बढ़ रही हैं और लोगों की जीवन-यापन लागत बढ़ रही है। इसने सरकार को पावर ग्रिड के सुधार को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इस बार चीनी स्वामित्व वाले घटकों के बहिष्कार से पावर ग्रिड सुधार का समय और लागत बढ़ने की संभावना है। इसका मतलब यह है कि ब्रिटिश लोगों को लंबे समय तक उच्च ऊर्जा कीमतें अदा करनी होंगी और अधिक लागत बोझ का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, ब्रिटिश सरकार ने 2021 में घोषणा की कि वह 2035 तक 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा बिजली लक्ष्य हासिल कर लेगी। हालांकि, पावर ग्रिड के पिछड़ेपन ने ब्रिटेन के ऊर्जा सुधार में बाधा उत्पन्न की है।

वास्तव में, ब्रिटेन के लिए खतरा कभी भी चीनी कंपनियां नहीं रही हैं, बल्कि राजनेता हैं जो लोगों के हितों की परवाह किए बिना राजनीतिक जोड़-तोड़ में लगे रहते हैं। ब्रिटेन में तर्कसंगत लोगों को यह अहसास होना चाहिए कि चीन एक सहयोगी भागीदार और विकास का अवसर है। चीन और ब्रिटेन के लिए साथ आने का सही तरीका व्यावहारिक सहयोग, पारस्परिक लाभ और साझी जीत के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देना है, ताकि पूरी दुनिया को लाभ मिल सके। 

रेडियो प्रोग्राम