चीन का रूख तथ्यों और न्याय पर आधारित है
25 अक्टूबर को, रूस और चीन ने फ़िलिस्तीन और इज़राइल के बीच की स्थिति पर अमेरिका द्वारा तैयार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मसौदा प्रस्ताव को वीटो कर दिया। संयुक्त अरब अमीरात ने भी इसके ख़िलाफ़ मतदान किया। उधर अमेरिका और ब्रिटेन आदि देशों के विरोध के कारण, रूस द्वारा तैयार किए गए मसौदा प्रस्ताव को भी अपनाया नहीं गया।
इसकी चर्चा में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 26 अक्टूबर को बल देकर कहा कि चीन का रूख तथ्यों और न्याय पर आधारित है, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अरब देशों की मजबूत आवाज का जवाब देता है। फ़िलिस्तीन मुद्दे पर चीन का कोई स्वार्थ नहीं है। जब तक यह शांति के लिए अनुकूल है, चीन दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।
और कुछ रिपोर्टों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अगस्त में चीन में निवेश प्रतिबंधों पर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। यूरोपीय संघ के उच्च स्तरीय अधिकारियों ने इस पर चिंता व्यक्त की कि यह कार्यकारी आदेश चीन और अमेरिका में निवेश करने वाली यूरोपीय संघ की कंपनियों को प्रभावित कर सकता है।
इसकी चर्चा में माओ निंग ने कहा कि गैर-बाजार व्यवहार वाले अन्य देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग में बार-बार हस्तक्षेप करना आर्थिक वैश्वीकरण की प्रवृत्ति के विपरीत है। यह अलोकप्रिय है और किसी भी पक्ष के हितों से मेल नहीं खाता।
चंद्रिमा