चीन हमेशा "ग्लोबल साउथ" का स्वाभाविक सदस्य रहा है

2023-09-21 10:44:08

78वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में "ग्लोबल साउथ" के देशों की चिंताएं एक प्रमुख विषय बन गई हैं। दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश के रूप में, चीन "ग्लोबल साउथ" के स्वाभाविक सदस्य की मांगों और प्रस्तावों को व्यक्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान कई बैठकों में भाग लेगा।

"ग्लोबल साउथ" क्या है? वह उभरते बाजार देशों और विकासशील देशों का एक समूह है। हाल के वर्षों में यह अवधारणा अमेरिका और पश्चिम के नेतृत्व वाले सम्मेलनों और विज्ञप्तियों में बार-बार दिखाई दी है, और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक गर्म शब्द बन गया है। अमेरिका और पश्चिमी देश चीन को "ग्लोबल साउथ" से बाहर निकालने, चीन को उसके विकासशील देश के दर्जे से वंचित करने, विकासशील देशों के खेमे को विभाजित करने और विकसित देशों के निहित स्वार्थों और आधिपत्य की रक्षा करने के प्रयास में "ग्लोबल साउथ" की अवधारणा को महत्वपूर्ण बना रहे हैं।

हालांकि, हाल ही में आयोजित "ग्रुप 77 और चीन" शिखर सम्मेलन ने एक स्पष्ट उत्तर दिया। शिखर सम्मेलन ने "हवाना घोषणा" को अपनाया, जिसमें कई चीनी अवधारणाओं और प्रस्तावों को शामिल किया गया और बताया गया कि संबंधित पक्षों को वैश्विक विकास और साझी जीत वाले सहयोग को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और मानव साझे भाग्य वाले समुदाय के निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए। यह "ग्लोबल साउथ" द्वारा जारी एकता और आत्मशक्ति का संकेत है, और यह एक बार फिर साबित करता है कि चीन "ग्लोबल साउथ" का स्वाभाविक सदस्य है।

जब संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने 2004 में "बिल्डिंग द ग्लोबल साउथ" रिपोर्ट जारी की, तो इसने स्पष्ट रूप से चीन को "ग्लोबल साउथ" देश के रूप में वर्गीकृत किया। अन्य विकासशील देशों की तरह, चीन विकास और पुनरुद्धार के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 2022 में इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 12,741 अमेरिकी डॉलर थी, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं का 20 प्रतिशत और अमेरिका के 17 प्रतिशत के बराबर है। 2021 में मानव विकास सूचकांक पर चीन विश्व में 79वें स्थान पर है, जो प्रमुख विकासशील देशों के बराबर है। यह देखा जा सकता है कि चीन अभी भी सभी द्वारा मान्यता प्राप्त सबसे बड़ा विकासशील देश है।

आज दुनिया अशांत है, एकपक्षवाद और आधिपत्यवाद निरंतर बढ़ रहा है, जो विकासशील देशों के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से कमजोर कर रहा है। चीन सहित "ग्लोबल साउथ" के देश आम तौर पर निष्पक्षता और न्याय की रक्षा करने और अधिक निष्पक्ष और उचित दिशा में वैश्विक शासन परिवर्तनों को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं।

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