अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस: बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए जागरूकता
आज चीन समेत बहुत से देशों में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जा रहा है। हालांकि, अपनी-अपनी सहूलियत के आधार पर विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग तारीखों पर बाल दिवस मनाया जाता है, लेकिन हर जगह बाल दिवस मनाए जाने का मूल उद्देश्य यही है कि इसके ज़रिये लोगों को बच्चों के अधिकारों तथा सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा सके।
वहीं, भारत की बात करें तो बाल दिवस देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन यानी 14 नवंबर को मनाया जाता है। चूंकि पंडित नेहरू बच्चों को बेहद प्यार करते थे और बच्चों की शिक्षा पूरी करने की वकालत करते थे, तो इसी वजह से भारत में बाल दिवस उनकी जयंती के मौके पर मनाया जाता है। भारत में यह बाल दिवस बच्चों के अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
उधर, चीन में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 1 जून को मनाया जाता है। साल 1949 में जब नया चीन बना था, और आधिकारिक तौर पर चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई थी, तब से ही 1 जून को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। पहले तो सभी स्कूलों की आधे दिन की छुट्टी होती थी, लेकिन साल 1956 से 1 जून को बाल दिवस के दिन पूरे दिन की छुट्टी दी जाने लगी। अब पूरे चीन में 1 जून को सभी स्कूलों में पूरे दिन की छुट्टी होती है।
दरअसल, इस बाल दिवस को मनाने का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देना, दुनिया भर में बच्चों के बीच जागरूकता और बच्चों की भलाई के लिए काम करना है। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस हम सभी को बच्चों के अधिकारों के बारे में बात करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। हर देश और समाज में उनके जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार की गांरटी देता है।
यह हम सभी जानते हैं कि बच्चें ही देश के विकास की नींव होते हैं और भविष्य भी, लेकिन अगर बच्चें अपने अधिकारों से वंचित रह जाएंगे तो एक बेहतर दुनिया का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। हमें बच्चों की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए, साथ ही हर बच्चे को हर अधिकार प्राप्त हो, उसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। चाहे सरकार हो या संस्थान, सभी को बच्चों के कल्याण और उनके अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए।
बच्चे हमारे देश की प्रगति की नींव हैं। यदि हम एक उज्ज्वल भविष्य बनाना चाहते हैं तो उनकी भलाई और शिक्षा पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे छोटे बच्चे स्वस्थ होकर बड़े हों और उन्हें साक्षर बनने का अवसर मिले। अपने बच्चों का पालन-पोषण और समर्थन करके, हम एक बेहतर कल की मजबूत नींव रख सकते हैं।
भारत, चीन जैसे विकासशील देशों को अपना भविष्य संवारने के लिए बच्चों की सेहत और साक्षरता पर ख़ासा ध्यान देने की जरूरत है, तभी देश का सपना साकार कर सकते हैं। हालांकि, चीन और भारत के राष्ट्रप्रमुख समय-समय पर अपने देश के बच्चों से मिलते हैं, और मेहनत का पाठ पढ़ाते हैं।
जहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग बच्चों से कड़ी मेहनत से पढ़ाई करने, अपने आदर्शों और विश्वासों को मजबूत करने और राष्ट्रीय कायाकल्प के चीनी सपने को साकार करने के लिए तैयार होने की बात करते हैं, साथ ही उनके मजबूत शरीर और दिमाग विकसित करने पर भी जोर देते हैं।
वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी बच्चों से मिलते हैं तो उन्हें साहस, संयम की बात सिखाते हैं। वे कहते हैं कि साहस ये हमारे स्वभाव में होना चाहिए, साहस के बिना जीवन संभव नहीं है।
खैर, दुनियाभर में बाल दिवस के माध्यम से लोगों को बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल मजदूरी इत्यादि बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। यह दिवस हमें बताता है कि बच्चों का पहला हक है जीना, तो उसका यह हक किसी भी सूरत में छीना न जाए। लड़का हो या लड़की, सबकी सेहत अच्छी होनी चाहिए। उनका संरक्षण किया जाए, उनकी बातों को सुना जाए। बच्चों को अपने जीवन में प्रकाश का, शिक्षा का तथा मनोरंजन करने का हक है। उन्हें बढ़ने दिया जाए, उन्हें दबाया न जाए। तब कहीं जाकर अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस का असल उद्देश्य पूरा हो सकेगा।
(अखिल पाराशर)