बच्चों को हिंसक चरमपंथियों से बचाने के लिए ज्यादा प्रयास करे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय

2023-06-01 16:35:32

प्रत्येक बच्चे को हिंसा, दुर्व्यवहार, शोषण और उपेक्षा से मुक्त होने का अधिकार है। हालाँकि, संघर्ष की स्थितियों में, बच्चे समाज के सबसे कमजोर सदस्य बनते हैं और युद्ध के परिणामों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यह एक दुखद सच्चाई है। बच्चों के खिलाफ छह सबसे आम उल्लंघन हैं युद्ध में बच्चों की भर्ती व उपयोग, हत्या, यौन हिंसा, अपहरण, स्कूलों व अस्पतालों पर हमले और बच्चों को मानवीय सहायता से इनकार।

19 अगस्त 1982 को फिलिस्तीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में "फिलिस्तीन और लेबनान के निर्दोष बच्चों की संख्या से चकित करने वाली थी, जो इजरायली आक्रमण का शिकार हुए हैं"। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 4 जून को आक्रमण के शिकार हुए मासूम बच्चों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित करने का निर्णय लिया। इस दिवस की स्थापना का लक्ष्य दुनिया भर के इन बच्चों की पीड़ा पर ध्यान आकर्षित करना है, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित होते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 नवंबर, 1989 को "बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन" को भी अपनाया कि वह हिंसा से पीड़ित बच्चों की रक्षा करता है और दुनिया में सभी बच्चों के बुनियादी अधिकारों के लिए अभूतपूर्व मानदंड बनाता है।

हालांकि, हाल के वर्षों में, अनेक संघर्ष क्षेत्रों में बच्चों से सम्बंधित नियमों के उल्लंघनों में वृद्धि हुई है। यूएनएचसीआर ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले एक दशक में हर साल अपने मातृभूमि को छोड़ने के लिए मजबूर लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है और अब यह अपने उच्चतम स्तर पर है। अभी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी भी समय की तुलना में अधिक बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। वर्तमान में, 40 करोड से अधिक बच्चे संघर्ष क्षेत्रों में रहते हैं और कम से कम 3.65 करोड बच्चे विस्थापित हैं। बच्चे अक्सर खतरनाक स्थितियों के पहले शिकार होते हैं, जिन्हें युद्ध के हिंसक परिणामों को सहने के लिए मजबूर किया जाता है। वास्तव में, बच्चे अक्सर गैर-सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा लक्षित होते हैं, जिन्हें गैर-सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा बाल सैनिकों के रूप में भर्ती किया जाता है और उनके अधिकारों से पूरी तरह वंचित किया जाता है। बच्चों को लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। इसका बच्चों और पूरे समाज पर स्थायी और विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बच्चों को हिंसक चरमपंथियों से बचाने के लिए और ज्यादा प्रयास करना चाहिए, अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के कार्यान्वयन को बढ़ाना चाहिए और बच्चों के खिलाफ उल्लंघन के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।

पहला, दुनिया भर के लोगों को विचलित या ध्यान भंग नहीं होना चाहिए, भले ही संघर्ष से पीड़ित बच्चों की दुर्दशा दूर की कौड़ी हो या संघर्ष की राजनीति बहुत जटिल हो।

दूसरा, दुनिया भर के लोगों को यह मांग करनी चाहिए कि सभी देशों, विशेष रूप से संघर्ष में देशों के नेताओं को बच्चों के खिलाफ हमलों और हिंसा से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

तीसरा, विभिन्न देशों की सरकारों और सुलगते संघर्षों के लिए सभी जुझारू दलों को कार्रवाई करनी चाहिए कि बाल संरक्षण दायित्वों को पूरा करें और हिंसाओं से प्रभावित बच्चों की विशिष्ट प्रतिक्रिया सेवाओं तक पहुंचना सुनिश्चित करें।

चौथा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बच्चों के लिए सुरक्षा वातावरण बनाने के लिए संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों का समर्थन करना चाहिए।

पांचवां, संघर्ष में जुझारू दलों का समर्थन करने वाले या उन पर प्रभाव रखने वाले देशों को अपने सभी प्रभाव का उपयोग करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा अपेक्षित बच्चों की सुरक्षा को बनाए रखना चाहिए।

छठा, संयुक्त राष्ट्र आदि अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा संगठनों को सशस्त्र संघर्ष में फंसे बच्चों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता देने के लिए और ज्यादा प्रयास करना चाहिए।

सातवां, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बच्चों को हिंसा, दुर्व्यवहार व शोषण से बचाने के लिए काम करने वाले कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए और ज्यादा कदम उठाना चाहिए और बच्चों को संघर्ष से निपटने व आशा के साथ एक उज्जवल भविष्य अपनाने में मदद करनी चाहिए।

बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए किए गए अनेक उपायों में से अंतत: एकमात्र संभावित समाधान राजनीतिक इच्छा शक्ति है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बहुत स्पष्ट कानून हैं, जो महिलाओं और बच्चों आदि सबसे कमजोर नागरिकों की रक्षा करते हैं। दुनिया भर के देशों को सभी लोगों को मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए। दुनिया भर के देशों को संघर्ष की स्थितियों में भी बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए। आक्रामकता से पीड़ित मासूम बच्चों के लिए, शांति ही सबसे अच्छा और एकमात्र व्यवहार्य समाधान है।

(हैया)

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