चीन-भारत सहयोग सम्बंधों को मजबूती देता एससीओ:डॉ. सन्दीप भट्ट
भारत ने 4 और 5 मई को शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) की दो दिवसीय बैठक की मेज़बानी की। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर की अध्यक्षता में एससीओ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने शिरकत की। विदेश मंत्री स्तरीय इस बैठक में कजाकिस्तान गणराज्य के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री मूरत नर्टलेउ, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के विदेश मंत्री छिन कांग, किर्गिज़ गणराज्य के विदेश मंत्री जीनबेक कुलुबेव, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी, रूसी संघ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, ताजिकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्री सिरोजिदीन मुह्रिदीन, उज़्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्री बख्तियार सैदोव, एससीओ महासचिव झांग मिंग, और एससीओ आरएटीएस कार्यकारी समिति के निदेशक रुस्लान मिर्ज़येव ने बैठक में भाग लिया और अपनी टिप्पणी दी।
sco की इस बैठक के सम्बंध में चाइना मीडिया ग्रूप की पत्रकार दिव्या पाण्डेय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकरिता एवं संचार विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मीडिया प्राध्यापक डॉ. सन्दीप भट्ट से बात की।
डॉ. सन्दीप कहते हैं कि एशियाई संदर्भों में यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है और वैश्विक दृष्टिकोण से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है।उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अस्थिरता के बीच भी इस बैठक में नयी पहल की भी कई सम्भावनाएँ बन सकती हैं।
ईरान और बेलारूस को संगठन का औपचारिक सदस्य बनाए जाने पर डॉ. सन्दीप का मानना है कि इससे समस्त एशियाई क्षेत्र की अर्थव्यव्स्था को नई दिशा मिलेगी। चीन और भारत तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाएँ है और विनिर्माण में भी दोनों देश लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनका मानना है कि यदि भविष्य में चीन और भारत के बीच व्यवसाय को लेकर नए अनुबंध या समझौते होते हैं तो ये दोनों देशों के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होगा और आपसी सद्भाव को नयी दिशा मिलेगी जो अर्थव्यवस्था की उत्तरोत्तर वृद्धि में सहायक साबित होगा।
(दिव्या पाण्डेय)