विकासशील देशों के सामने खड़ी चुनौतियों के मुकाबले में बड़ा मंच एससीओ-- विशेषज्ञ

2023-05-11 09:16:49

शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक 4-5 मई को गोवा में आयोजित हुई। इसमें चीन, रूस, भारत व पाकिस्तान आदि देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। जिनमें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों पर विचार विमर्श किया गया। एससीओ के महत्व और चीन की भूमिका पर चाइना मीडिया ग्रुप के पत्रकार अनिल पांडेय ने हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर सुधीर सिंह से बात की।

प्रो. सुधीर सिंह कहते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दो ध्रुवीय व्यवस्था उभरने लगी, जिसने बाद में बहुध्रुवीय व्यवस्था का रूप लिया। हालांकि अभी भी दुनिया में अमेरिका का दबदबा कायम है। अगर अमेरिका के समक्ष चुनौती पेश करनी है तो विकासशील देशों को मिलकर काम करना होगा। शांगहाई सहयोग संगठन इस मामले में एक बड़ा प्लेटफॉर्म है। जो भारत, चीन, रूस और अन्य देशों को एक मंच पर खड़ा करता है। ऐसे में हमें आपस में व्यापार करने की जरूरत है। साथ ही सांस्कृतिक व शैक्षणिक आदान-प्रदान करना चाहिए। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की चुनौती से लड़ने के लिए भी एससीओ एक बड़ा मंच प्रदान करता है। क्योंकि पिछले दस वर्षों में जलवायु परिवर्तन की समस्या में इजाफा हुआ है, जबकि भारत और चीन औद्योगिक तौर पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की मुश्किलों से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं। इन सब मुद्दों के लिए एससीओ एक बहुत महत्वपूर्ण संगठन है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर सुधीर सिंह

जहां तक भारत-चीन संबंधों का सवाल है तो इन दोनों देशों को आपस में सहयोग करना चाहिए। जो कुछ कड़वी यादें हैं उनको भुलाने की जरूरत है। परस्पर सहयोग और सम्मान के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए।  

प्रो. सुधीर के मुताबिक अगर दक्षिण के देश आपस में एकजुटता नहीं दिखाएंगे तो अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती नहीं दे पाएंगे। साथ ही वह कहते हैं कि एससीओ अपनी स्थापना के पिछले दो दशक में इस दिशा में काफी प्रगति कर चुका है। आने वाली विभिन्न चुनौतियों और घटनाओं में इसकी सार्थक भूमिका होगी।

(अनिल पांडेय)

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