विशेष बच्चों को प्रतिभाशाली बनाता विशेष शिक्षा स्कूल
उत्तरी तिब्बती पठार पर समुद्र सतह से 4500 मीटर की ऊँचाई पर एक विशेष स्कूल है - नाछ्यु विशेष शिक्षा स्कूल। हालांकि यहां के बच्चों में किसी न किसी तरह की विशेष अक्षमता होती है, स्कूल में शिक्षकों की सावधानीपूर्वक देखभाल और धैर्यपूर्ण शिक्षा के तहत वे प्रतिभा सम्पन्न होकर अपना जीवन बदलने के योग्य बनते हैं।
नाछ्यु विशेष शिक्षा स्कूल की स्थापना वर्ष 2013 में हुई, जो उत्तरी तिब्बत के घास के मैदान में स्थापित पहला विशेष शिक्षा स्कूल है, और यह दृष्टिबाधित, बधिर, मानसिक मंदता आदि विकलांग बच्चों के लिए नौ साल की अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने वाला एक विशेष स्कूल है।
विशेष शिक्षा देने में बड़ी कठिनाइयां हैं। कुछ बच्चों में आत्म-देखभाल करने की क्षमता कम होती है और वे अपरिचित वातावरण के अनुकूल नहीं होते हैं। शिक्षकों को उन्हें भोजन खाना और कपड़े पहनना सिखाना पड़ता है। यहां तक कि रोजमर्रा के जीवन में शिक्षक उनके माता-पिता की भूमिका निभाते हुए उन्हें खाना खिलाते, नहलाते और उनके कपड़े धोते हैं।
27 वर्षीय कूरु नाछ्यु विशेष शिक्षा स्कूल में कला शिक्षक हैं। उसका जन्म तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे शहर की साग्या काउंटी में हुआ, अब तक स्कूल में उसका 4 साल पढ़ाने का अनुभव है। क्योंकि उनका बायां पैर जन्म से अक्षम है, इसलिए उसके लिए चलना मुश्किल है। अध्यापिका कूरु स्कूल के बच्चों की कठिनाई को समझती है। साल 2019 में वह इस स्कूल में एक शिक्षक बनी। उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षा कार्य में भाग लेना हमेशा उसका आदर्श रहा है। चित्र बनाना बच्चों को अपने भीतर की दुनिया को अच्छी तरह पेश करने की अनुमति देता है। विद्यार्थियों की कल्पनाशील चित्र रचनाएं अक्सर उन्हें चौंका देती हैं।
वहीं, नाछ्यु विशेष शिक्षा स्कूल की प्रधान त्सेरिंग लामू अक्तूबर 2022 में आयोजित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिनिधि हैं। वह पूरी तरह से विशेष शिक्षा में समर्पित हैं। भाषा की बाधाओं वाले छात्रों के साथ संवाद करने के लिए उन्होंने स्वयं हावभाव भाषा को सीखा। दृष्टिबाधित छात्रों के दिलों में प्रवेश करने के लिए उन्होंने छात्रों के साथ दुनिया की अनुभूति करने के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांधी। वह विकलांग छात्रों को तिब्बत के बाहर अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के लिए भी ले जाती हैं।
त्सेरिंग लामू ने कहा कि स्कूल की स्थापना के बाद पिछले 10 सालों में भारी परिवर्तन आया है। अतीत में माता-पिता को संदेह था लेकिन अब वे स्कूली शिक्षा और राष्ट्रीय नीतियों के लिए आभारी हैं। स्कूल में प्रवेश करते समय छात्र अंतर्मुखी थे, लेकिन स्कूल में पढ़ने के बाद वे ज्यादा से ज्यादा जीवंत और हंसमुख बन गए। पहले शिक्षकों को स्कूल में भाग लेने के लिए छात्रों को ढूँढना पड़ता था, लेकिन अब अभिभावक खुद अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए लाते हैं।
त्सेरिंग लामू के अनुसार, वर्तमान में नाछ्यु विशेष शिक्षा स्कूल में नामांकित छात्रों की संख्या और छात्रों के प्रकार बढ़ रहे हैं, विशेष शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा अभिभावक महत्व देने लगे है। स्कूल में कई बच्चों ने कौशल में महारत हासिल की है, नौकरी पाई है, नया जीवन प्राप्त किया है और अपने स्वयं के जीवन मूल्य को साकार किया है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश विकलांग लोगों के संघ के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में स्वायत्त प्रदेश के 7 विशेष शिक्षा स्कूलों में 1,057 विकलांग छात्र नामांकित हैं। 4,597 विकलांग छात्र नियमित स्कूलों में नियमित कक्षाओं में नामांकित हैं, और 2,600 विकलांग छात्र घर-घर शिक्षण सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं। अनिवार्य शिक्षा में विकलांग छात्रों की नामांकन दर 97 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
वहीं, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में विकलांगों के लिए रोजगार सेवा केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, अब तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 16 से 59 आयु वर्ग के रोजगार प्रमाण पत्र वाले 19,217 विकलांग लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
(श्याओ थांग)