आतंकवाद के बिना समृद्धि संभव नहीं- एससीओ देश

2023-05-04 11:31:15

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच आतंकवाद को लेकर बनी सहमति और उसकी निंदा से साफ है कि ये देश मानते हैं कि आतंकवाद उनका बड़ा दुश्मन है। नई दिल्ली में संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक 28 अप्रैल को खत्म हो गई। इस मौके पर सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से आतंकवाद की निंदा की। सभी देशों ने माना कि आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए साथ होना होगा। इसे लेकर संगठन में एकता का सुर ना सिर्फ संगठन के भविष्य, बल्कि क्षेत्रीय संप्रभुता र सामंजस्य की दिशा में बड़ा कदम है। 

इस मौके पर संगठन की अध्यक्षता कर रहे भारत का यह कहना कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में वह सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा- कि प्रशंसा की जानी चाहिए। 

इस अवसर पर भारतीय पक्ष का कहना था कि सभी सदस्य देश अपने बयान में एकमत हैं कि आतंकवाद, चाहे किसी भी रूप में हो, उसकी निंदा की जाएगी और उसे नियंत्रित किया जाएगा।"

संगठन की बैठक में सभी देश क्षेत्रीय आतंकवादी गतिविधियों और नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ आगे विशेष कार्रवाई के लिए भी सहमत हुए। बैठक के दौरान भारत ने पाकिस्तान, चीन, रूस समेत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्य देशों ने अपील की कि सभी देश आतंकवाद के खिलाफ मिल कर लड़ाई शुरु करें।  सदस्य देशों का कहना था कि हर तरह के आतंकवाद को खत्म करने और आतंकवादी गतिविधियों को फंड  उपलब्ध कराने वालों की जवाबदेही तय करने के लिए सामूहिक कार्रवाई जरूरी है। 

संगठन की बैठक में यह भी स्वीकार किया गया कि हर तरह के आतंकवाद या इसको मदद करने को  मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाना चाहिए। सबने माना कि आतंकवाद के खात्म के बिना ना तो शांति संभव है और ना  समृद्धि। शांति, समृद्धि और आर्थिक विकास के लिए सबको आतंकवाद पर काबू पाना ही होगा।

गौरतलब है कि दिल्ली में हुए शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता भारत ने की। जिसका केंद्रीय विषय 'शंघाई सहयोग संगठन को सुरक्षित करना' है। भार और चीन इस क्षेत्र में बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहन देने में शंघाई सहयोग संगठन को विशेष महत्व देते हैं। शंघाई सहयोग संगठन के साथ जारी संपर्क ने सदस्य देशों को उस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंधों को प्रोत्साहन देने में सहायता की है, जिसके साथ सदस्य देशों के सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं। भारत, पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में देखें तो यह संगठन विस्तारित पड़ोस का ही नया रूप है।

शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है। 

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की साल 2001 में स्थापना हुई थी। यह अंतर सरकारी संगठन है। शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता में भारत और चीन के अलावा कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इन सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी 28 अप्रैल 2023 को हुई शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। जाहिर है कि इस बैठक में इन देशों के हितों पर भी ध्यान दिया गया।

(उमेश चतुर्वेदी,वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)

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