19वें एशियाई खेलों में 150 दिन बाकी, हांगचो शहर है मेज़बानी के लिए तैयार

2023-04-27 15:15:19

आज से 150 दिनों बाद चीन के हांगचो शहर में 19 वें एशियाई खेलों की शुरुआत हो जाएगी। 23 सितबंर से होने वाले एशियाई देशों के इस सबसे बड़े खेल जमावड़े के लिए सभी खिलाड़ियों ने भी कमर कस ली है। इसकी मुख्य वजह है, ओलंपिक का टिकट। एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक खिलाड़ियों और टीमों को ना केवल एशिया में सिरमौर बना देता है बल्कि उन्हें सीधे ही ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई भी करवा देता है। इस बार का सबसे बड़ा आकर्षण उपमहाद्वीप का सबसे लोकप्रिय खेल टी-20 क्रिकेट, ई-स्पोर्ट्स और ब्रेक डांस के अलावा ब्रिज और शतरंज जैसे खेल भी हैं। 

दक्षिण पूर्व चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी है हांगचो शहर। इस शहर को चीन का ई-कॉमर्स और आईटी सेक्टर का हब भी कहा जाता है। अलीबाबा और एंट ग्रुप के मुख्यालय इसी शहर में हैं। हांगचो यांगत्से डेल्टा पर बसा, शंघाई के बाद दूसरा सबसे बड़ा शहर है। हांगचो की मशहूर वेस्ट लेक और ग्रैंड कैनाल, संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शुमार है। वर्ष 2016 में प्रतिष्ठित जी-20 सम्मेलन की मेज़बानी भी हांगचो शहर ने ही की थी। ये तीसरा मौका है जब चीन का कोई शहर एशियाई खेलों की मेज़बानी कर रहा है। इसके पहले 1990 में चीन की राजधानी पेईचिंग को और वर्ष 2010 में क्वांगचो शहर को ये ज़िम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2015 में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की 34 वीं जनरल असेंबली बैठक में हांगचो को 19 वें एशियाई खेलों की मेजबानी के लिए चुना गया था। 

45 देशों वाले इन एशियाई खेलों का ध्येय वाक्य ‘भविष्य में जुड़ें, दिल से दिल’ है। इन एशियाई खेलों में कुल 42 खेलों के 482 ईवेंट्स यानी 482 स्वर्ण पदकों के लिए खिलाड़ी एक दूसरे को टक्कर देंगे। इन खेलों में उन 28 अनिवार्य खेलों का आयोजन भी होगा जो पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों का हिस्सा हैं। इसमें सबसे ज्यादा एथलेटिक्स में 48 स्वर्ण पदक, स्विमिंग में 41 स्वर्ण, शूटिंग में 33 स्वर्ण और कुश्ती में 18 पदक जीतने का मौका एथलीटों के पास होगा। इस बार ई-स्पोर्ट्स यानी कंप्यूटर पर खेले जाने वाले गेम्स में 8 स्वर्ण पदक जीतने का सुअवसर भी उपलब्ध है, जिसमें लीग ऑफ लीजेंड्स, फीफा, पीयूबीजी और स्ट्रीट फाइटर जैसे मशहूर गेम्स भी शामिल हैं।

इन खेलों के तीन शुभंकर हैं, जिनका नाम त्सौंगत्सौंग, लियानलियान और छनछन । ये तीनों ही पुरुष रोबोटिक सुपरहीरो हैं, जिनकी उत्पत्ति पुरातत्वकालीन लियांगचू सिटी, वेस्ट लेक और ग्रांड कैनाल से हुई है। शुभंकरों की इस स्मार्ट तिकड़ी को सम्मिलित रुप से ‘मेमोरिज़ ऑफ च्यांगनैन’ के नाम से भी पहचाना जा रहा है।

इन खेलों का आयोजन 44 अलग-अलग जगहों और स्टेडियमों में किया जाएगा। स्वर्ण पदक जीतने वाले एथलीटों या टीमों को पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेने की पात्रता मिल जाएगी। प्रत्येक एशियाई खेलों की तरह ही इस बार भी खेल प्रेमियों की नज़रें एथलेटिक्स ईवेंट पर होगीं, जिसमें महिलाओं की 100 मीटर फर्राटा रेस में चीन की वेई योंगली और क मान्छी से तो पुरुषों की 100 मीटर रेस में टोक्यो ओलंपिक में तहलका मचाने वाले चीन के सू पिंगथ्यैन से ख़ास उम्मीदों होंगी। वहीं भारतीय एथलेटिक्स टीम में अविनाश साब्ले, जिनसन जॉनसन, एल्डहोस पॉल, नीरज चोपड़ा और अनु रानी से विशेष उम्मीदें रहेंगी। भारत की पुरुष एवं महिला हॉकी टीम भी एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के जरिए पेरिस ओलंपिक में प्रवेश करना चाहेगीं। इसके अलावा जिन भारतीय खिलाड़ियों से सभी की आशाएं बंधी होंगी उनमें तीरंदाजी में अतानु दास और तरुणदीप राय, बैडमिंटन में पीवी सिंधू, गायत्री गोपीचंद, अश्विनी पोनप्पा, किदाम्बी श्रीकांत और लक्ष्य सेन, बॉक्सिंग में निखत जरीन और लोवलिना बोरगोहेन, ब्रिज में जग्गी शिवदासानी, ईस्पोर्ट्स में चरणज्योत सिंह, गोल्फ में अनिर्बान लाहिरी और अदिति अशोक शामिल हैं। अब तक हुए 18 एशियाई खेलों में पदक जीतने के मामले में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत का दबदबा देखने को मिला है। जहां चीन और जापान के कुल तीन हजार से ज्यादा पदक हैं तो भारत ने भी अब तक साढ़े छह सौ से ज्यादा पदक जीते हैं।

(विवेक शर्मा)


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