अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया "पैंडोरा बॉक्स" खोलने के एक कदम और करीब हैं

2023-03-15 14:44:49

स्थानीय समय के अनुसार 13 मार्च को, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने मुलाकात की और ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियों से लैस करने की योजना की घोषणा की। ऑस्ट्रेलियाई सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 245 अरब डॉलर की लागत से पूरी योजना 2055 में पूरी होने की उम्मीद है।

सभी पक्षों की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी परमाणु पनडुब्बी सहयोग योजना की घोषणा की। यह बहुपक्षीय सहमति के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई है, जो वे गलत और खतरनाक रास्ते पर और आगे बढ़ रहे हैं। यदि इस योजना को अमल में लाया जाता है, तो यह अनिवार्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता को कमजोर कर देगी, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु अप्रसार प्रणाली को प्रभावित करेगी, और हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगी। यह मानों  "पैंडोरा बॉक्स" खोलने जैसा है,जिस की अंतहीन परेशानियां होंगी।

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया परमाणु हथियारों के अप्रसार (एनपीटी) पर संधि के सभी हस्ताक्षरकर्ता हैं, लेकिन वे विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। तीन देशों के बीच सहयोग एनपीटी लक्ष्यों और सिद्धांतों, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की विधि, और दक्षिण प्रशांत परमाणु मुक्त क्षेत्र संधि के प्रासंगिक नियमों का उल्लंघन करता है।

पिछले एक वर्ष से अधिक समय से "परमाणु साजिश" को सफेद करने के लिए तीनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में कई ब्लैक-बॉक्स ऑपरेशन किए हैं, जिसमें एजेंसी के सचिवालय को सुरक्षा उपायों से छूट की व्यवस्था करने के लिए मजबूर करना और एजेंसी के प्रासंगिक प्रस्तावों में संशोधन प्रस्ताव जोड़ना आदि शामिल हैं। ऐसी स्थिति में परमाणु पनडुब्बी सहयोग के विवरण की तीन देशों की लापरवाह घोषणा पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विपरीत है।

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक सैन्य रणनीतिक लाभ बनाने के लिए एक छोटा समूह बनाना चाहते हैं, जो नाटो के क्षेत्रीय संघर्षों और टकरावों को भड़काने की दिनचर्या की नकल करता है। साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विरोध के बावजूद परमाणु पनडुब्बी सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देते हैं, और उनकी अपनी आर्थिक गणना भी होती है। शुरुआत में, फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया के साथ लगभग 66 अरब अमेरिकी डॉलर के एक पारंपरिक पनडुब्बी अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन यह अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा नष्ट किया गया था। आज परियोजना की राशि बढ़कर 245 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंच गई है, जो कई गुना बढ़ गई है। वे अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य उद्यम जो दुनिया भर में खून चूस रहे हैं, फिर से बड़े लाभ पाने का अवसर लेंगे। इस समझौते से अगले 30 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया में लगभग 20 हज़ार प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

परमाणु पनडुब्बी सहयोग किसी भी तरह से उनका निजी मामला नहीं है, लेकिन इसमें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सभी सदस्य राज्यों के हित शामिल हैं, और सभी सदस्य राज्यों द्वारा एक अंतर-सरकारी प्रक्रिया के माध्यम से चर्चा और निर्णय लिया जाना चाहिए।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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