भारत-चीन के बीच बेहतर रिश्तों का संवाद
हाल ही में चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच जी-20 के विदेश मंत्रियों से अलग जिस तरह गहराई से बातचीत हुई, उससे एशिया की दोनों महाशक्तियों के बीच नए रिश्तों की उम्मीद बढ़ी है। कूटनीतिक हलके में आमतौर पर संकेतों में बात कही जाती है। लेकिन दोनों विदेश मंत्रियों के बीच जिस तरह खुलकर बातचीत हुई, उसे भारत में आसभरी निगाहों से देखा जा रहा है। दोनों विदेश मंत्रियों की इस बातचीत के दौरान जिस तरह से दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का संकल्प लिया, वह काबिल ए तारीफ है।
बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री किन गांग ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नजरिए से देखें तो चीन और भारत के बीच मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक समान हित हैं। चीनी विदेश मंत्री ने भारत और चीन के विकास को लेकर भी बहुत अच्छी बात कही है। किन ने कहा कि चीन और भारत के विकास की रफ्तार विकासशील देशों की ताकत को प्रदर्शित करती है। उन्होंने यहां तक कहा कि इन दोनों देशों में ही दुनिया की एक तिहाई आबादी रहती है। यह आबादी अकेले ही दुनिया का भविष्य बदल सकती है। चूंकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है, इस बातचीत के बीच चीन के विदेश मंत्री ने उस मुद्दे को बेहद समझदारी और चतुराई से उठाया। उन्होंने इस मुद्दे को विकास की कीमत पर नहीं उठने का संकेत दिया। लेकिन उन्होंने कोशिश की कि इस विवाद की छाया विकास और आपसी आर्थिक हितों पर न पड़े। किन गांग का इस मुलाकात में उम्मीद करना कि भारत और चीन को अपने आपसी संबंधों को इस सदी में दुनिया में होने वाले भावी बदलावों के नजरिए से देखना चाहिए। किन गांग की इस अपील को भी दोनों देशों की आम जनता के हितों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा है कि आधुनिकीकरण की राह पर दोनों देशों को आगे बढ़ना चाहिए। किन गांग ने यह भी कहा कि दोनों देशों के नेताओं को आपस में सहमति रखते हुए साथ बनाए रखना चाहिए। उन्होंने आपसी विवादों के निपटारे को लेकर जिस तरह की अपील की, उससे बेहतर रिश्ते चाहने वालों की उम्मीदें बढ़ना स्वाभाविक है।
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच आपसी सीमा विवाद को निबटाने पर भी जोर दिया गया। चीन के विदेश मंत्री ने भारत से साफ कर दिया कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की तैयारी पूरी कर चुका है। अब भारत को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
चूंकि भारत और चीन के कई क्षेत्रों में साझा हित हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी-अपनी कूटनीतिक हितों के हिसाब से दुनिया के विकासशील देशों के अधिकारों और हितों की रक्षा करने, दक्षिण एशिया में सहयोग को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए सक्रिय रहते हैं। चीनी विदेश मंत्री ने इस लिहाज से भी दोनों देशों के बीच सहयोग और बेहतर रिश्ते बनाने पर जोर दिया।
भारत और चीन, दुनिया की दोनों महान सभ्यताएं हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसका भी जिक्र करते हुए दोनों देशों के रिश्ते बेहतर बनाने पर जोर दिया। कुछ मसलों पर आपसी मतभेदों के बावजूद एशिया की दोनों महाशक्तियों ने आर्थिक और कारोबारी सहयोग के मोर्चे पर बहुत कुछ हासिल भी किया है। इस नजरिए से भी दोनों देशो के बीच के रिश्तों को देखना जरूरी है। हालांकि मौजूदा दौर में सामरिक महत्व ही ज्यादा जरूरी हो गया है। भारत की ओर से इस नजरिए से भी अपना पक्ष रखा गया। दोनों देशों के बीच शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन जैसा मंच तो है, लेकिन भारत चाहता है कि इससे भी बेहतर ऐसा मंच होना चाहिए, जिससे दोनों देशों के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा मिल सके। वैसे जी -20 में जिस तरह भारत को चीन का सहयोग मिला है, उससे भी दोनों देशों के बीच हालात सामान्य होने में मदद मिली है। शायद यही वजह रही कि विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में जी20 में भारत की अध्यक्षता का समर्थन और बहुपक्षीय मामलों में संचार और समन्वय बनाए रखने की मंशा के लिए चीन का भारतीय विदेश मंत्री ने आभार व्यक्त किया। उम्मीद की जानी चाहिए कि दुनिया के दोनों पुराने देशों में ऐसा सद्भाव बना रहेगा।(लेखकः उमेश चतुर्वेदी ,वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)