यह अमेरिका है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ता है:चीन

2023-02-21 18:40:39


अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में कहा कि चीन "जानता है" कि अगर वह रूस को घातक समर्थन प्रदान करता है तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि, उन्होंने अमेरिकी पक्ष के तथाकथित "परिणामों" की व्याख्या करने से इनकार कर दिया। इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वनपिन ने 21 फरवरी को आयोजित नियमित संवाददाता सम्मेलन में संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि अमेरिका यूक्रेनी युद्ध के मैदान में हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। कल, अमेरिका ने घोषणा की कि वह यूक्रेन को सैन्य सहायता में और 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा। अब अमेरिका चीन की हथियारों की आपूर्ति के बारे में गलत जानकारी फैलाना जारी रखता है। अमेरिका का इरादा क्या है? अमेरिका कहता रहता है कि वह शांति बनाए रखना चाहता है। वास्तव में उसने बहुत सारा युद्ध धन कमाया। अमेरिकी सैन्य उद्योग ने यूक्रेनी युद्ध के मैदान से बहुत पैसा कमाया है। तो विवेक क्या है? अमेरिका ने पहले अफगानिस्तान में 'अंतिम अफगान तक लड़ो' की नीति लागू की थी। क्या आज यूक्रेन के लिए 'अंतिम यूक्रेनी तक लड़ना' आवश्यक है? तथ्यों ने पहले ही "शांति रक्षक" के रूप में अमेरिका के मुखौटे को फाड़ दिया है।

उधर, अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन की हालिया चीन पर टिप्पणी का जवाब देते हुए वांग वनपिन ने कहा कि चीन अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक है और हमेशा संयुक्त राष्ट्र पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूती से बनाए रखता है। यह अमेरिका है, चीन नहीं, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ता है।

अमेरिकी विदेश मंत्री वेंडी शरमन ने हाल ही में कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि चीन एक बढ़ती हुई चुनौती है क्योंकि चीन के पास नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने की क्षमता है।

वांग वनपिन ने कहा कि "न्यू मोनरो सिद्धांत" से "रंग क्रांति" तक, "फाइव आईज एलायंस" से "क्वाड तंत्र" तक अमेरिका टकराव को उकसाने और दुनिया भर में विभाजन पैदा करने के लिए लापरवाह राजनीतिक आधिपत्य को बढ़ावा देता है। अमेरिका सैन्य आधिपत्य का पालन करता है। 2001 के बाद से, अमेरिका ने आतंकवाद के विरोध के नाम पर युद्ध और सैन्य अभियान शुरू किए हैं, जिनसे दुनिया भर में 9 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 3.7 करोड़ शरणार्थी हुए हैं। इस के अलावा अमेरिका दुनिया भर में आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक आधिपत्य भी बढ़ाता है। यह अमेरिका है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ता है

 

(मीनू)

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