वांग यी की भारत यात्रा : चीन-भारत संबंध के सुधार में सकारात्मक भूमिका अदा करेगी

2022-03-29 15:34:25

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 24 से 26 मार्च को क्रमशः पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत और नेपाल चार देशों की यात्रा की। चार देशों की यात्रा में भारत की यात्रा निःसंदेह सबसे अहम है। यह चीन और भारत के बीच गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय गतिविधि है।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नयी दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोवाल के साथ वार्ताएं कीं। वार्ता में वांग यी ने चीन-भारत संबंध के विकास के तीन सुझाव पेश किये। यानी दीर्घकालीन दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों को देखें, साझी जीत के विचार से एक दूसरे के विकास को देखें, सहयोग के रवैये से बहुपक्षीय प्रतिक्रिया में भाग लें। साथ ही, वांग यी ने जोर दिया कि चीन तथाकथित एक ध्रुवीय एशिया की खोज नहीं करेगा।

वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी सार्वजनिक तौर पर कहा कि उनकी और चीनी विदेश मंत्री के बीच करीब 3 घंटों तक वार्ता चली। दोनों नेताओं ने व्यापक मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। एस. जयशंकर ने जोर दिया कि भारत चीन के साथ संबंधों को बड़ा महत्व देता है।

इसके अलावा, अजीत डोवाल ने वार्ता में कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद को द्विपक्षीय संबंधों के विकास की प्रवृत्ति को नहीं बदलना चाहिए। हालिया परिवर्तित अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति के मुद्देनज़र चीन-भारत को एक ही सही दिशा में आगे विकसित करना चाहिए।

विश्लेषकों का मानना है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दो अहम अर्थ हैं। पहला, दोनों पक्षों ने उच्च-स्तरीय आवाजाही से विश्वास मजबूत किया है और संदेह को कम किया है। विगत दो वर्षों में चीन-भारत संबंध में सामरिक आपसी विश्वास का अभाव रहा है। निःसंदेह, चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास में सक्रिय तत्व डाला है। कई अहम मुद्दों पर चीन और भारत को संपर्क मजबूत करने की बड़ी आवश्यकता है। चूंकि चीन और भारत दोनों पड़ोसी देश हैं, जो कि स्थानांतरित नहीं हो सकते हैं। चीन और भारत जैसी बड़ी आर्थिक इकाइयों के लिए एक दूसरे के खिलाफ़ शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाने से केवल दोनों को ही नुकसान पहुंचेगा। वार्ता में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत की अहम भूमिका का समर्थन करने की बात कही। साथ ही, जोर दिया कि चीन क्षेत्र में भारत की परम्परागत भूमिका का सम्मान भी करेगा। चीन ने स्पष्ट रूप से मैत्रीपूर्ण संदेश दिया है।

दूसरा, रूस-यूक्रेन संकट ने चीन-भारत के सामरिक सहयोग के लिए मौका भी दिया है। दोनों को संपर्क और समन्वय करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों को सबसे बड़ा लाभ मिल सके। परिवर्तित अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति के मुद्देनज़र चीन और भारत के बीच उच्च-स्तरीय आवाजाही का अहम अर्थ है। जैसे कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 25 मार्च को भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोवाल के साथ वार्ता में कहा था कि अगर चीन और भारत एक स्वर में बोलेंगे, तो पूरी दुनिया ध्यान से सुनेगी।

चीन और भारत रूस के अहम सामरिक सहयोग साझेदार हैं। रूस-यूक्रेन संकट के दौरान दोनों देशों ने राजनीतिक वार्ता के जरिए मुठभेड़ का समाधान करने पर जोर दिया। यूक्रेन समस्या संबंधी चर्चा में दोनों देशों ने तटस्थ रहने के लिए वोट दिया। यह इस बात का द्योतक है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और अंतर्राष्ट्रीय ढांचे जैसे अहम सैद्धांतिक सवाल पर चीन और भारत की सामरिक सहमति होती है।

रूस-यूक्रेन संकट में चीन और भारत को कई जटिल समस्याओं को हल करना चाहिए। कैसे शांगहाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स व्यवस्था, जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंच को बरकरार रखा जा सके, जिनमें चीन, भारत और रूस तीनों बड़े देश सदस्य होते हैं?कैसे भारी तिजारती उत्पादों के दाम को स्थिर बनाया जा सके?कैसे ऊर्जा की सप्लाई और वित्तीय व्यवस्था के कारगर प्रचलन को सुनिश्चित किया जा सके? उपरोक्त ये अहम समस्याओं को हल करने के लिए चीन और भारत को मिलकर काम करना चाहिए।

एक बार की यात्रा 2020 गलवान घाटी मुठभेड़ से पैदा हुई समस्या को हल नहीं कर सकती है। उल्लेखनीय बात यह है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नयी दिल्ली में दोहराया कि सीमांत समस्या को उचित स्थान पर रखा जाना चाहिए। चीन-भारत संबंध इसलिए पिछले दो वर्षों में भारी गिरावट आयी, जिसमें एक मुख्य कारण है कि भारत सदैव सीमांत समस्या से द्विपक्षीय संबंध को देखता है और द्विपक्षीय संबंध से बहुपक्षीय और वैश्विक सहयोग का आकलन करता है।

इस वार्ता के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी के जवाब में भारतीय पक्ष ने भी सक्रिय प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत का रुख है कि सीमांत क्षेत्र में शांति की बहाली न होने से अन्य क्षेत्रों में दोनों के बीच सामान्य सहयोग करना नामुमकिन है। इसलिए भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमांत विवाद को हल करने के बाद ही भारत चीन की यात्रा के बारे में सोचेगा। लेकिन सीमांत समस्या की बहुत जटिल और खास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है, दोनों देशों को बुद्धिमता का प्रयोग कर ध्यान से इस समस्या को हल करना चाहिए। चूंकि अन्य क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण सहयोग का माहौल भी सीमांत समस्या को हल करने के लिए अच्छी स्थिति तैयार कर सकेगा।

हमें उम्मीद है कि चीनी विदेश मंत्री की यात्रा चीन-भारत संबंध के सुधार में सकारात्मक भूमिका अदा कर सकेगी और द्विपक्षीय संबंध बेहतर दिशा में आगे विकसित कर सकेगा। यह दोनों देशों के हितों से मेल खाता है।  (श्याओयांग)

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