चीन के दुनिया की एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की कहानी क्या है?

2022-11-26 19:08:14

चीन की आर्थिक प्रगति और विकास निश्चित रूप से भारत के लिए मूल्यवान सबक है, चाहे हम इसे चाहें या न चाहें। जहां भारत साल 1947 में आजाद हुआ, वहां चीन साल 1949 में एक नये चीन के रूप में बनकर उभरा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई, और तब चीन पुराने क्वोमिंगतांग सरकार के कुशासन से मुक्त हुआ।

साल 1980 में आर्थिक विकास, सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से चीन और भारत एक ही पायदान पर खड़े थे। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत आगे था। लेकिन आज 42 साल बाद चीन भारत से कोसों दूर आगे निकल गया है। चीन ने पिछले तीन-चार दशक में जो हासिल किया है, वो काबिल-ए-तारीफ है। सबसे आबादी वाले देश चीन की अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में चार गुनी बड़ी है, और कुछ ही सालों में इसके अमेरिका से भी आगे बढ़ जाने की उम्मीद है।

आज चीनी अर्थव्यवस्था फलफूल रही है और देश पहले से कहीं अधिक आश्वस्त है। हमारे रोजमर्रा जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग सभी वस्तुओं पर ‘मेड इन चाइना’ लिखा होता है। बेशक, चीन के तेजी से विकास ने दुनिया को हैरान कर दिया है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है। यह दुनिया भर में छोटी-से-छोटी और बड़ी-से-बड़ी वस्तुओं को निर्यात करता है। चीन अब एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बन गया है।

साल 1978 में चीन ने पहला कदम उठाया, जब विदेशी निवेश के लिए अपने दरवाजे खोले। चीनी आबादी, जिसे विकास में बाधक माना जाता था, सस्ते श्रम के वादे के माध्यम से शक्ति का स्रोत और विदेशी निवेशकों को लुभाने का एक तरीका बन गया। उस समय चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 156 डॉलर थी और भारत की 206 डॉलर। लेकिन आज 2021 में चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 12,556 डॉलर तक जा पहुंची है। चीन इतने कम समय में आगे निकल गया है। चीन ने अपने आर्थिक विकास के इस सफर में न अपनी आबादी को बाधा बनने दिया और न ही अपने कम्युनिस्ट शासन को।

दरअसल, चीन की सूरत बदलने का पूरा श्रेय तंग श्याओ फिंग को जाता है। साल 1976 में नये चीन के प्रथम नेता माओ त्से तुंग की मृत्यु के बाद तंग श्याओ फिंग ने देश की कमान संभाली। माओ की नीतियों के विपरीत, उन्होंने अर्थव्यवस्था को समाजवादी नीतियों से अलग कर दिया, जिसमें विदेशी निवेश और तकनीकी सहायता के साथ-साथ निजी संपत्ति के मालिक होने की स्वतंत्रता मिल गई। चीन की विदेश नीति में इस बड़े बदलाव की सबसे बड़ी वजह थी तंग श्याओ फिंग की आर्थिक सोच।

तंग श्याओ फिंग का मानना था कि चीन को पूरी तरह समाजवादी देश बनाने के लिए पहले उसकी अर्थव्यवस्था का मजबूत होना जरूरी है। इसकी शुरूआत तभी हो सकती है जब चीन की बंद आर्थिक व्यवस्था के दरवाजे पूरी दुनिया के लिए खोल दिए जाएं। उन्होंने कहा कि चीन लोक गणराज्य की नींव पड़ने के साथ हमारी सबसे बड़ी कमजोरी यह रही है कि हमने उत्पादन बढ़ाने वाले काम पर ध्यान नहीं दिया। समाजवाद का मतलब गरीबी खत्म करना है, न कि गरीबी में जीना। चीन की आंतरिक उठा-पटक पर काबू पाने के बाद तंग श्याओ फिंग ने दुनिया के दूसरे देशों के साथ संबंध सुधारने की शुरूआत की। उनकी इस उम्दा सोच ने चीन को दुनिया में एक प्रमुख शक्ति बना दिया। 

तंग श्याओ फिंग ने आर्थिक सुधारों की शुरूआत के लिए स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसइजेड) बनाने का फैसला किया। दक्षिणी चीन के क्वांगतोंग प्रांत के शनचन शहर को पहला स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाने के लिए चुना गया। हांगकांग के सबसे पास होने की वजह से यह शहर प्रयोग के लिहाज से उत्तम था। आज शनचन आसमान छूती इमारतों से भरा हुआ सबसे युवा और तरक्की करने वाला शहर है। साल 1979 तक यह एक छोटा-सा गांव हुआ करता था, जहां सिर्फ मछुआरे रहा करते थे। तंग श्याओ फिंग ने यहां एसइजेड की शुरूआत की। यहां उन्होंने प्रायोगिक आधार पर कई सारी सुविधाएं दी, जो अव्वल दर्जे की थी। धीरे-धीरे शनचन में कुशल मजदूरों की भरमार होने लगी।

आज, दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में चीन का सामान लगभग हर देश में बेचा जाता है। इस निर्यात के कारण चीन के पास सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसने चीन के विकास में भी योगदान दिया है। विदेशी निवेश को अधिकतम करने के लिए उन्होंने आर्थिक नीतियां बनाईं जिससे निर्यात आय का मुख्य स्रोत बन गया। चीन के विकास के इस मॉडल में शनचन जैसे स्पेशल इकोनॉमिक जोन की अहम भूमिका रही है।

पिछले 40 सालों में किसी भी देश ने वह हासिल नहीं किया है जो चीन ने आर्थिक क्षेत्र में किया है। चार दशकों के आर्थिक सुधार और खुलेपन के बाद, चीन मौलिक रूप से नियोजित अर्थव्यवस्था से सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित हो गया है। इसके अलावा, सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। निवेश के माहौल में सुधार के बावजूद, बाजार के खुलेपन का पैमाना लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा, बैंकिंग प्रणाली में तेजी से सुधार जारी है। इन सभी ने चीनी अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास की नींव रखी है।

(अखिल पाराशर)

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