भारत में चीनी राजदूत सुन वेइतुंग ने प्रस्थान भाषण दिया

2022-10-26 11:31:48

भारत में चीनी राजदूत सुन वेइतुंग ने 25 अक्तूबर को अपने कार्यकाल की समाप्ति के मौके पर प्रस्थान भाषण दिया।

अपने भाषण में उन्होंने कहा कि दीवाली के त्योहार के दौरान उनकी भारत छोड़ने की इच्छा नहीं है। उन्होंने भारतीय मित्रों को दीवाली की शुभकामनाएं दीं।

सुन वेइतुंग ने कहा कि जुलाई 2019 में वह भारत आए। पिछले 3 से अधिक वर्षों में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक बैठक के लिए चेन्नई में राष्ट्रपति शी चिनफिंग का स्वागत करने का सम्मान हासिल हुआ। साथ ही वह चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा 120 अरब डॉलर से अधिक होने के साक्षी बने, दोनों देशों के विभिन्न जगतों के लोगों के साथ मिलकर कोरोना महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में आपसी समर्थन किया। अपने कार्यकाल में उन्होंने भारत के कई स्थलों का दौरा किया और इस देश के विकास और परिवर्तन को देखा। वह बेहतर जीवन जीने के लिए भारतीय लोगों की प्रबल इच्छा को गहराई से समझते हैं, और व्यक्तिगत रूप से चीन-भारत मित्रता के लिए भारतीय लोगों के समर्थन और अपेक्षा को महसूस करते हैं।

राजदूत सुन वेइतुंग ने अपने राजनयिक कार्य में प्राप्त अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि चीन और भारत हजारों वर्षों से एक-दूसरे से सटी प्राचीन पूर्वी सभ्यताएं हैं। एशिया हमारा साथ रहने का घर है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। चीन और भारत की मैत्री का इतिहास बहुत पुराना है। कूटनीतिक संबंध की स्थापना के बाद पिछले 70 से अधिक सालों में द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए हैं, उच्च स्तरीय आवाजाही इसका लगातार नेतृत्व करती है। चीन और भारत के बीच सहयोग तंत्र में दिन-प्रतिदिन सुधार हुआ है, और सहयोग के दायरा का लगातार विस्तार हो रहा है, जिसने दोनों देशों के लोगों की भलाई को बढ़ाया है और विश्व शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह कहा जा सकता है कि चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान के 2,000 साल के इतिहास में अधिकांश समय मित्रता रही है।

सुन वेइतुंग ने यह भी कहा कि 1 अरब से अधिक की आबादी वाले दुनिया के केवल दो प्रमुख विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत विकास और पुनरुद्धार के महत्वपूर्ण चरण में हैं। दोनों देशों को पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को मजबूत करना चाहिए और अपने स्वयं के विकास को दूसरे पक्ष के लिए एक अवसर बनाना चाहिए। चीन और भारत को अपने-अपने विकास से क्षेत्रीय देशों के विकास को अवसर प्रदान करना चाहिए, और व्यापक विकासशील देशों के वैध अधिकारों व हितों की समान रूप से रक्षा करनी चाहिए। यहां चीन और भारत में दीर्घकालिक समान रणनीतिक हित मौजूद हैं। 

राजदूत सुन वेइतुंग ने कहा कि चीन और भारत की स्थिरता और विकास का मतलब है कि दुनिया की आबादी के दो-पांचवें हिस्से के पास विकास के अवसर हैं। चीन-भारत संबंधों के स्वस्थ विकास से दुनिया में अधिक स्थिरता और निश्चितता आएगी। राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलसिलेवार महत्वपूर्ण आम सहमतियां प्राप्त कीं, जिनमें चीन और भारत प्रतिस्पर्धी के बजाय भागीदार हैं, चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरे के बजाय विकास का अवसर हैं, "ड्रैगन और हाथी नृत्य" को साकार करना चीन और भारत के लिए एकमात्र सही विकल्प है, असहमति को विवादों में न बढ़ने दिया जाए, आदि शामिल हैं। ये आम सहमतियां चीन-भारत संबंधों की आधारशिला और मार्गदर्शक हैं। हमें दोनों देशों के नेताओं द्वारा संपन्न सहमतियों का ठोस रूप से कार्यान्वयन करते हुए चीन-भारत संबंधों के विकास की सही दिशा पर डटे रहना चाहिए। हमेशा रणनीतिक ऊँचाई पर और दूरगामी दृष्टि से द्विपक्षीय संबंधों का विकास करना चाहिए, ताकि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आपसी सम्मान और विश्वास, सहयोग और उभय जीत वाले द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की जा सके।

अपने प्रस्थान भाषण के अंत में राजदूत सुन वेइतुंग ने कहा कि पिछले 3 साल 3 महीने उनके जीवन के अविस्मरणीय साल रहे हैं। चीनी और भारतीय सभ्यताओं का निर्माण दोनों देशों के लोगों द्वारा किया गया था, और चीन-भारत संबंधों का भविष्य भी दोनों देशों के लोगों द्वारा लिखा जाएगा। उन्हें पक्का विश्वास है कि चीन-भारत मित्रता का भविष्य बहुत उज्ज्वल होगा।

(श्याओ थांग)

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