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बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
इधर के सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जंगली जानवरों के संरक्षण को लगातार मजबूत किया जा रहा है। जंगली जानवरों की रक्षा करने की अवधारणा ने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में जड़ें जमा ली हैं। जंगली जानवरों के आवास पर्यावरण में भी काफी सुधार हुआ है, और पठार की जैव विविधता में लगातार वृद्धि हुई है।
बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा ने मई 2019 में छ्य्वीश्वेइ काउंटी में पहला वन्यजीव बचाव केंद्र स्थापित किया। अब तक, इस बचाव केंद्र ने चोट या बीमारी के कारण अपना आवास छोड़ चुके 362 जंगली जानवरों को बचाया है, जिनमें 47 राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी संरक्षित जानवर और 287 राष्ट्रीय द्वितीय श्रेणी संरक्षित जानवर शामिल हैं।
बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
इधर के सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जंगली जानवरों के संरक्षण को लगातार मजबूत किया जा रहा है। जंगली जानवरों की रक्षा करने की अवधारणा ने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में जड़ें जमा ली हैं। जंगली जानवरों के आवास पर्यावरण में भी काफी सुधार हुआ है, और पठार की जैव विविधता में लगातार वृद्धि हुई है।
बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा ने मई 2019 में छ्य्वीश्वेइ काउंटी में पहला वन्यजीव बचाव केंद्र स्थापित किया। अब तक, इस बचाव केंद्र ने चोट या बीमारी के कारण अपना आवास छोड़ चुके 362 जंगली जानवरों को बचाया है, जिनमें 47 राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी संरक्षित जानवर और 287 राष्ट्रीय द्वितीय श्रेणी संरक्षित जानवर शामिल हैं।
बर्फीले पठार पर दुर्लभ जंगली जानवरों का बचाव और सहायता
इधर के सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जंगली जानवरों के संरक्षण को लगातार मजबूत किया जा रहा है। जंगली जानवरों की रक्षा करने की अवधारणा ने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में जड़ें जमा ली हैं। जंगली जानवरों के आवास पर्यावरण में भी काफी सुधार हुआ है, और पठार की जैव विविधता में लगातार वृद्धि हुई है।