देश विभिन्न लेकिन रचनाएं समान, चीनी और भारतीय साहित्यकार लू शुन और प्रेमचंद

2022-09-24 09:12:23


चीन और भारत के आधुनिक साहित्यिक इतिहास में लू शुन और मुंशी प्रेमचंद दोनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आधुनिक चीनी और भारतीय साहित्यिक जगतों में दो दिग्गजों के रूप में उनके जीवन के अनुभवों, रचनात्मक विचारों और उनकी रचनाओं की विशेषताओं में कई समानताएं हैं।

20वीं सदी की शुरुआत में चीन और भारत की सामाजिक पृष्ठभूमि समान थी। उस समय, चीन एक अर्ध-औपनिवेशिक और अर्ध-सामंती समाज था, जबकि भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन था, दोनों देशों का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन का विकास शुरू हुआ और धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया। चीन और भारत पुराने और नए युग के परिवर्तन काल में थे।

दोनों देशों के साहित्यिक इतिहास में महान साहित्यकार के रूप में, लू शुन और प्रेमचंद दोनों ने अपनी रचनाओं में किसानों के विषय को चुना। उन्होंने ग्रामीण जीवन को गहराई से और जीवंत रूप से चित्रित किया और अपनी रचनाओं में विशुद्ध ग्रामीण पात्रों को बनाया।

लू शुन की कृतियाँ "खोंग यीची", "गृहनगर", "आशीर्वाद" और "आ क्यू की सच्ची कहानी" चीन में बहुत प्रसिद्ध हैं। वह साहित्य के महल में किसानों को आमंत्रित करने वाले पहले व्यक्ति थे, और उन्होंने हमेशा किसानों के भाग्य पर ध्यान दिया। उनके उपन्यासों में मेहनती और दयालु किसानों की छवि नजर आती थी, और उस जमाने में चीनी ग्रामीण इलाकों के वास्तविक जीवन को किसानों की पीड़ा की स्थिति के माध्यम से दिखाया जाता था।


वहीं, प्रेमचंद की रचनाओं में नायक भी किसान हैं, जो उनके संघर्ष और दयनीय जीवन के प्रतिरोध का स्पष्ट रूप से वर्णन करते हैं। कुछ लोग उन्हें "किसानों का प्रवक्ता" कहते हैं। प्रेमचंद ने अपने जीवनकाल में "गोदान", "कर्मभूमि", "गबन" और "निर्मला" सहित 15 उपन्यास, लगभग 300 लघु कथाएँ और ग्रंथ, फिल्म की पटकथाएं, बाल साहित्य और अनुवाद रचनाएं लिखीं। उन्हें भारत में "उपन्यास सम्राट" के रूप में सम्मानित किया जाता है।

लु शुन और प्रेमचंद ने अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से उस समय चीन और भारत में किसानों के दयनीय जीवन का वर्णन किया। उन्होंने किसानों के जीवन को रिकॉर्ड करने के लिए अपनी भावनात्मक कलमों का इस्तेमाल किया। उनके लेखन में ग्रामीण पात्रों के चित्र एक साथ दोनों देशों के पारंपरिक समाज और सामंती समाज से आधुनिक समाज में हुए विकास और परिवर्तन को दर्शाते हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ा और वास्तविक जीवन को प्रकट करते हैं।


इस वर्ष 25 सितंबर को, लु शुन का 141वां जन्म दिवस है। उनका जन्म सन् 1881 में और निधन अक्तूबर 1936 में हुआ। वहीं, प्रेमचंद का जन्म जुलाई सन् 1880 में और निधन अक्तूबर 1936 में हुआ। दोनों का निधन एक ही साल के एक ही महीने में हुआ था। चीन और भारत के साहित्यिक इतिहास में दो महान साहित्यकारों के रूप में लू शुन और प्रेमचंद के उपन्यासों के विषय और शैली दोनों मिलती-जुलती हैं, उन्होंने अपने-अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान और विकास के लिए जिंदगी भर योगदान दिया है, जिन्हें हमेशा याद किए जाने और प्रशंसा की जाने योग्य हैं।

(श्याओ थांग)

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