तिब्बत की शिक्षिका चुली की कहानी

2022-09-08 15:39:19

चीन की तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार ने हाल ही में तिब्बत की सहायता करने के लिए आये 9वें जत्थे के उन्नत व्यक्तियों को सम्मानित किया। उनमें पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत के ली शुए शहर से आयी अध्यापक चुली शामिल हैं। अगस्त 2019 में चुली केंद्रीय सरकार की तिब्बत की सहायता की अपील के तहत अपने परिवार से अलग होकर विश्व की छत पर स्थित ल्हासा नाछ्यु हाईस्कूल आयीं। तीन साल में उन्होंने कई कठिनाइयां को दूरकर स्थानीय शिक्षा विकास में असाधरण योगदान दिया है।

जब वे तिब्बत आयीं तो उनको गंभीर रूप से ऊँचाई से बीमारी का सामना करना पड़ा। उन्हें सिरदर्द, अनिद्रा और नाक से खून निकलने की शिकायत हुई। यहां तक कि पैदल चलते समय उनके दिल की धड़कन तेज हो जाती थी। समुद्र की सतह से औसत 4000 मीटर ऊँचाई वाले पठार की स्थिति से अभ्यस्त होना उनके लिए सचमुच आसान नहीं था। उन्होंने दाँत भींचकर इस परीक्षा को पार किया।

ल्हासा नाछ्यु हाईस्कूल में वे क्लास की मुख्य अध्यापक हैं और अंग्रेजी पढ़ाती हैं। उन्होंने पाया कि वहां के बच्चों के अंग्रेजी का आधार बहुत कमजोर था और स्थानीय पढ़ाई का तरीका सुधारने की बड़ी गुंजाइश थी। हेडमास्टर के समर्थन में उन्होंने पूरे स्कूल के अंग्रेजी अध्यापकों को मॉडल क्लास दिलाई और एक साथ पढ़ाई की अवधारणा तथा तरीकों का आदान-प्रदान किया। धीरे-धीरे प्रगतिशील शिक्षा अवधारणा अपनायी जाने लगी और छात्रों का अंग्रेजी रिकार्ड भी उन्नत हो गया। नवंबर 2021 में उनके 6 छात्रों ने नाछ्यु शहर की अंग्रेजी भाषण प्रतियोगिता में भाग लेकर शीर्ष 6 स्थान प्राप्त किये।

चुली न सिर्फ छात्रों की पढ़ाई पर बड़ा ध्यान देती हैं, बल्कि मां की तरह अपने क्लास के हरेक छात्र की शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखती है। उनके क्लास के छात्र सब उत्तरी तिब्बत के छांगथांग क्षेत्र से आते हैं। एक कक्षा में उनको सिर्फ एक बार घर वापस जाना पड़ता है। माता-पिता के प्यार के अभाव और अकेलापन उन बच्चों का समान दुःख है। चुली रोज सुबह 6 बजे उठकर कैंपस में आकर बच्चों के साथ दौड़ती हैं, पढ़ती हैं, खाना खाती हैं। रात में जब सब बच्चे सो जाते हैं, तब वे चली जाती हैं। वे हमेशा बच्चों के साथ रहती हैं और हर वक्त हरेक छात्र के भाव व मानसिक परिवर्तन पर नजर रखती हैं, ताकि उनको क्लास अपने घर जैसा लगे। उनकी कोशिशों से छात्रों ने स्कूल को अपने घर जैसा स्वीकार करना शुरू कर दिया और उनकी पढ़ाई में स्पष्ट प्रगति नजर आयी है। वर्ष 2021 में युनिवर्सिटी दाखिला परीक्षा में उनके क्लास के सभी छात्र युनिवर्सिटी प्रवेश लाइन के ऊपर पहुंचे, जिनमें से 57.5 प्रतिशत छात्रों को मुख्य विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला।

चुली तिब्बत की सहायता में अन्य प्रांत से स्वैच्छिक रूप से विश्व की छत पर आये कई अध्यापकों का एक लघुचित्र है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 से वर्ष 2021 तक चीन के विभिन्न प्रांतों व शहरों के 2076 अध्यापक तिब्बत की सहायता करने के लिए आये। उनके प्रयासों से तिब्बत में शिक्षा के संतुलित विकास और गुणवत्ता में बड़ी उन्नति हुई। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न जातियों की आवाजाही और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में विशिष्ट योगदान दिया है। वे जातीय एकजुटता के दूत भी माने जाते हैं। (वेइतुंग)   

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