समुद्री पारिस्थितिकी की रक्षा करें, समुद्री पर्यावरण शासन प्रणाली का निर्माण करें

2022-08-19 18:01:59

ब्रिटिश साप्ताहिक पत्रिका "न्यू साइंटिस्ट" के अनुसार, वर्ष 1970 से वर्ष 2018 तक जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने से समुद्र में शार्क और रेज़ आदि मछलियों की संख्या में कम से कम 71 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई, जबकि कुछ समुद्री प्रजातियां "नस्लीय पतन" जैसी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि एक क्षेत्र में शार्क आदि के गायब होने से पूरा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ा सकता है।

महासागर दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र है, जो मानव अर्थव्यवस्था व समाज के सतत विकास को साकार करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने आदि क्षेत्रों में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। भूमंडलीय ऊष्मीकरण, जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने और बढ़ते महासागर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण आदि समस्याओं से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को गंभीर नुकसान पहुंचा है। पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञों का सुझाव है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समुद्री पर्यावरण शासन प्रणाली की स्थापना करने, व्यापक समुद्री प्रशासन को आगे मजबूत करने और समुद्री पारिस्थितिकी पर मानव समुद्री गतिविधियों के प्रभाव को कम करना चाहिए।

वहीं, जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्रदूषण ने भी समुद्री  पर्यावरण को और खराब कर दिया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, समुद्र के बढ़ते तापमान से समुद्री प्रजातियों का गहरे समुद्र और ध्रुवों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन होगा। इससे समशीतोष्ण में प्रजातियों की संख्या कम होगी और समुद्री जैव विविधता अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगी। साथ ही समुद्री कूड़ा विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक कूड़ा गंभीर रूप से प्रदूषित है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री पारिस्थितिक तंत्र एवं प्रजातियों के रहने की जगहों को नुकसान पहुंचता है और परिणामस्वरूप समुद्री जैविक समुदायों की संरचना में असंतुलन होता है।

वर्तमान में कई देशों ने वैश्विक और क्षेत्रीय महासागर प्रशासन और संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लिया और समुद्री पारिस्थितिक संरक्षण वाला अवरोध बनाने के लिये प्रयास किया है ।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय में समुद्री पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण और समुद्री जैविक संसाधन संरक्षण दोनों श्रेणियों की संधियों के आधार पर एक समुद्री पर्यावरण शासन प्रणाली स्थापित की गयी है। वर्ष 1982 में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून समझौते यानी यूएनसीएलओएस  को अपनाया गया, जिससे समुद्री संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा कायम हुआ है। वर्ष 1995 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने   मत्स्यपालन के लिए आचार संहिता यानी सीसीआरएफ को अपनाया और मछली पकड़ने पर एक विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किया, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता की रक्षा करता है।

वहीं 23 अगस्त 1982 को चीन ने चीन समुद्री पर्यावरण संरक्षण कानून लागू किया। इस कानून का लक्ष्य समुद्री पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना, समुद्री संसाधनों की रक्षा करना, प्रदूषण से होने वाले नुकसान को रोकना, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना, मानव स्वास्थ्य की रक्षा करना और सतत आर्थिक व सामाजिक विकास को बढ़ाना आदि है।

एक इंसान के रूप में हर व्यक्ति अपने व्यवहार से समुद्री पर्यावरण शासन प्रणाली के निर्माण को संयुक्त रूप से बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, पहला, हर व्यक्ति जीवन की जरूरतों से ऊर्जा की बचत और उत्सर्जन में कमी शुरू करे। दूसरा, सतत समुद्री भोजन उत्पादों का चयन करे। तीसरा, प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग कम करे। चौथा, समुद्रीय तटों की सफाई बनाए रखने पर ध्यान दे। पांचवां, लुप्तप्राय समुद्री जीवों और उनके उत्पादों को न खरीदे या न खाए। छठा, महासागर संरक्षण लोक कल्याण संगठनों का समर्थन करे। सातवां, समुद्री संरक्षण को बढ़ावा दे। आठवां, अपने यात्रा व्यवहार को विनियमित करें। नौवां, समुद्री जीवन और समुद्री संरक्षण के बारे में जानकारी सचेत रूप से सीखे। दसवां, स्थानीय समुद्री संरक्षण कार्यों में सक्रिय रूप से भाग ले।

समुद्री पारिस्थितिक सभ्यता के निर्माण में, अधिक से अधिक लोगों को समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण कार्यों में शामिल होने की आवश्यकता है। आइए, समुद्र के विविध जीवन व उनके आवासों की एक साथ सक्रिय रूप से रक्षा करें और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग का अहसास करें। ताकि लोग अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए नीला समुद्र और नीला आकाश छोड़ सकें।

(हैया)

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