जब चीनी चित्रकार शू पेइहोंग रविंद्रनाथ टैगोर से मिले
चीनी प्रसिद्ध आधुनिक चित्रकार और कला शिक्षक शू पेइहोंग 19 जुलाई 1895 को पैदा हुए। इस वर्ष की 19 जुलाई को शू पेइहोंग के जन्म की 127वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर हम शू पेइहोंग व भारतीय मशहूर कवि व लेखक रविंद्रनाथ टैगोर, जो नोबेल साहित्य पुरस्कार के विजेता थे, के बीच हुई एक कहानी बताते हैं।
वर्ष 1939 के नवंबर में शू पेइहोंग को टैगोर से एक आमंत्रण मिला, जिसमें उन्हें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के चीनी कॉलेज में शिक्षा देने के लिए आमंत्रित किया गया। ठीक उसी साल के दिसंबर में शू पेइहोंग यांगून और कलकत्ता से गुजरकर अंत में पवित्र जगह शांति निकेतन पहुंचे। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में ठहरने के दौरान शू पेइहोंग ने आधुनिक चीनी चित्रों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की । वहां वे अकसर टैगोर के साथ आदान-प्रदान करते थे, जो चीन-भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में एक उल्लेखनीय कहानी बनी, और दोनों के बीच गहरी मित्रता भी बनी।
गौरतलब है कि शू पेइहोंग आकृतियों, जानवरों, फूलों और पक्षियों को चित्रित करने में माहिर थे, और यथार्थवाद का पक्ष लेते थे। उन्हें आधुनिक चीनी कला शिक्षा के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उन्होंने“पारंपरिक चीनी चित्रकला”के सुधार व विकास का समर्थन दिया, और आधुनिक चीनी चित्रकला के पतन की पृष्ठभूमि में "चीनी चित्रकला के सुधार के सिद्धांत" को सामने रखा।
चंद्रिमा