भारत और चीन के बीच वैश्विक सहयोग से दुनिया को फायदा : भारतीय विद्वान

2022-07-06 13:51:54

इस साल इंडोनेशिया जी-20 समूह का अध्यक्ष देश है और इस सप्ताह 7 से 8 जुलाई को जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा, जहां चीन, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, सहित 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के विदेश मंत्री आपस में मिलेंगे और अनेक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. वेदव्रत तिवारी ने चाइना मीडिया ग्रुप को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि आज पूरे विश्व में जो आर्थिक हालात हैं, वो अच्छे नहीं है। रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष चल रहा है, वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा है, कोविड-19 महामारी की वजह से लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है, पूरी दुनिया आर्थिक बहाली के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसे अनेक मुद्दे हैं जो आर्थिक रूप से पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि जी-20 समूह के विदेश मंत्रियों की यह बैठक एक सार्थक और एक सही दिशा में प्रयास करेगी।

प्रोफेसर तिवारी ने कहा कि जी-20 एक बहुत महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठन है और आर्थिक क्षेत्र में इसकी वैश्विक भूमिका को बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता है। जी-20 समूह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को एक साथ लाता है। यह वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी, वैश्विक निवेश का 85 फीसदी, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 फीसदी और विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर आर्थिक मोर्चे पर जी-20 समूह कोई रणनीतिक साझेदारी करता है तो यह सभी के लिए फायदेमंद होगा। बेरोजगारी, महंगाई, जलवायु परिवर्तन ऐसे बड़े मुद्दे हैं, जिन पर जी-20 समूह के सदस्य जरूर ध्यान देंगे। वैसे भी इस बार के जी-20 का नारा है- “एकसाथ बहाली, एकसाथ मजबूती”, जो कि यह दिखाता है कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया को एकसाथ इन चुनौतियों से पार पाना है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी समझ रखने वाले डॉ. वेदव्रत तिवारी ने यह भी कहा कि यदि जी-20 समूह एक सुनियोजित तरीके से योजना बनाकर रोडमैप बनाता है तो आने वाले पांच वर्षों में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, महंगाई जैसे अनेक वैश्विक मुद्दों के खिलाफ लड़ा जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक पटल पर देखें तो मौजूदा समय में दुनिया के अधिकांश देशों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद लोग अब घर से बाहर निकलने लगे हैं तो अगर पर्यटन के क्षेत्र में सरकार या संस्थाएं कुछ निर्णायक और बेहतर योजना बनाते हैं तो यकीनन आर्थिक स्तर पर एक बहुत बड़ा सुधार दिखाई देता है। जी-20 समूह को इस पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।

चीन और भारत दोनों ही देश जी-20 समूह के सदस्य हैं, और दोनों देशों के शीर्ष नेता हर साल इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मिलते हैं, क्या इस मंच के जरिए दोनों देशों के संबंधों में कोई सुधार आ सकता है? इस पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. वेदव्रत तिवारी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पिछले करीब 2-3 सालों से दोनों देशों के संबंधों में जो कुछ खटास आई है, उसको इस मंच के माध्यम से जरूर दूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए दोनों ही देशों को पहले एक साझा कार्यक्रम तय करना पड़ेगा अन्यथा सिर्फ जी-20 के मंच पर मिलने से कोई विशेष हल नहीं निकलेगा।

उन्होंने आगे कहा कि वार्ता करने से ही इस स्तर में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए दोनों ही देशों को पहल करने की आवश्यकता है। सूझबूझ और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना से अगर दोनों देश कार्य करें तो निश्चित रूप से गतिरोध की स्थिति को खत्म किया जा सकता है, जिसका लाभ न केवल भारत और चीन को मिलेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी देशों को भी मिलेगा।

डॉ. वेदव्रत तिवारी भारत के एक जाने-माने इतिहासकार भी हैं। उन्होंने चीन और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और चीन के संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक हैं। इतना ही नहीं, दोनों देशों के व्यापारिक संबंध भी प्राचीन काल से ही चले आ रहे हैं। प्राचीन समय में विश्व की सबसे विकसित सभ्यताएं भी भारत और चीन दोनों देशों में ही मौजूद थीं।

डॉ. वेदव्रत तिवारी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, गरीबी उन्मूलन आदि वैश्विक मुद्दों व सहयोग पर भारत और चीन एकसाथ आते हैं तो निश्चित रूप से यह पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।

अगले वर्ष भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा इस पर प्रोफेसर वेदव्रत तिवारी ने इंटरव्यू में कहा कि जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए वाकई एक महत्वपूर्ण और गौरवशाली क्षण होगा। भारत को अभी भी आर्थिक रूप से एक विकासशील देश के तौर पर देखा जाता है और ऐसे में जी-20 जैसे बड़े मंच की मेजबानी करना निश्चित रूप से वैश्विक परिदृश्य और वैश्विक व्यवस्था में भारत का कद बढ़ेगा।

(अखिल पाराशर)

 

रेडियो प्रोग्राम