महाकावय "गेसार" की रक्षा और उत्कृष्ट सांस्कृतिक विरासत का उत्तराधिकार

2022-07-04 15:22:57

"गेसार" चीन में तिब्बती लोगों द्वारा सामूहिक तौर पर रची गई एक महाकाव्य है, जिसके कुल 120 से अधिक अध्यायों में 10 लाख श्लोक और 2 करोड़ शब्द हैं। यह संपूर्ण दुनिया में सबसे लंबा महाकाव्य है, जिसमें तिब्बती जाति के वीर राजा गेसार स्वर्ग जगत से लोक दुनिया में उतरने, दानवों और राक्षसों को समाप्त करने, कमजोरों की सहायता करने, युद्ध कर विभिन्न विभागों को एक करने और अंत में स्वर्ग की दुनिया में वापस लौटने की कथा सुनाई गई।  

"गेसार" का निर्माण और विकास प्राचीन तिब्बती मिथकों, किंवदंतियों, कहानियों, गीतों, कहावतों और अन्य लोक साहित्य के आधार पर किया गया है, जो प्राचीन अल्पसंख्यक जातियों के सामाजिक इतिहास, जातीय आदान-प्रदान, नैतिक अवधारणाओं, लोक रीति-रिवाजों और लोक संस्कृति का अध्ययन करने वाला एक विश्वकोश है।


हज़ारों सालों से, राजा गेसार की कथाएं लोगों के बीच आमने-सामने वाले मौखिक तरीके से प्रसारित होती आ रही हैं, जिनका रचक, उत्तराधिकारी, और प्रचारक कथा-वाचक हैं। लंबे वर्षों से, वे रचनात्मक काव्य कला और कथा प्रतिभा का उपयोग करते हुए दिल से गाते हैं, मूल्यवान जातीय खजाने का उत्तराधिकार करते हैं, उन्हें महाकाव्य का "जीवित वाहक" कहा जाता है।

लेकिन आधुनिकीकरण की त्वरित गति के साथ, कथा-वाचकों के मौखिक तरीके से महाकाव्य की विरासत पर भारी प्रभाव पड़ा है। जैसे-जैसे कथा-वाचक बूढ़े और कमजोर हो रहे हैं, वैसे-वैसे उनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है, और वे "लोगों की मौत और गान की समाप्ति" की खतरनाक स्थिति का सामना कर रहे हैं। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से लेकर पिछले 70 से अधिक सालों में चीन की केंद्र सरकार ने "गेसार" को बचाने के लिए बड़ी मात्रा में राशि प्रदान की और क्रमशः 20 से अधिक बार कथा-वाचक जनगणना, संस्करण संग्रह और अन्य बचाव संरक्षण कार्य किए।

साल 2006 में "गेसार" को पहली खेप में चीनी गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया, वहीं 2009 में इसे संयुक्त राष्ट्र यूनेस्को के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में चुना गया। कथा-वाचकों के मौखिक रूप से आमने-सामने प्रसार से राष्ट्र स्तरीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत तक, फिर विश्व स्तरीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत तक, महाकाव्य "गेसार" का कारगर रूप से संरक्षण किया जाता है।


अब तक, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्यु शहर में ही पंजीकृत "गेसार" कथा-वाचकों की संख्या 120 से अधिक है। संबंधित पुस्तकों, वीडियो और ओडियो रचनाओं के प्रकाशन के साथ-साथ, तिब्बत ने "गेसार" से जुड़े गायन, गुणगान, नृत्य, उत्तराधिकारों का मौखिक इतिहास, रीति-रिवाज और किंवदंती आदि छह भागों से गठित महाकाव्य डिजिटल संसाधन पुस्तकालय की स्थापना की।

आज, "गेसार" की विरासत न केवल मौखिक प्रसारण के पारंपरिक रूप तक सीमित है, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से एनीमेशन, फिल्मों, चित्र पुस्तकों जैसे तरीकों से दुनिया को भी प्रदर्शित की जाती है। तिब्बती जाति के सांस्कृतिक खजाने के रूप में इस प्राचीन महाकाव्य का अभूतपूर्व उत्तराधिकार और विकास किया जा रहा है।

(श्याओ थांग)

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