दक्षिण एशियाई देश चीन के अहम साझेदार हैं

2022-07-02 16:23:40

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिच्येन ने 1 जुलाई को जानकारी दी की चीनी विदेश मंत्री वांग यी 3 से 4 जुलाई तक म्यांमार में होने वाली लेनछांग-मेकोंग सहयोग की 7वीं विदेश मंत्रियों की बैठक और जी20 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेंगे। साथ ही, वे थाईलैंड समेत कई दक्षिण एशियाई देशों की बैठकों में उपस्थित होंगे।

इस यात्रा की चर्चा में चीनी प्रवक्ता चाओ लिच्येन ने कहा कि चीन और दक्षिण एशियाई देश साझे भाग्य वाले मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश हैं, साथ ही अहम साझेदार भी हैं। परिवर्तित स्थिति में चीन और दक्षिण एशियाई देशों को एकसाथ मिलकर मुसीबतों को दूर कर इस क्षेत्र की शांति व स्थिरता की रक्षा करनी चाहिए। चीन इस यात्रा से दक्षिण एशियाई चार देशों के साथ सामरिक संपर्क को गहराना चाहता है और बेल्ट एंड रोड का सह-निर्माण करना चाहता है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों के विकास में नयी प्रेरणा ऊर्जा शक्ति डाल सके। चीन विभिन्न देशों के साथ वैश्विक विकास पहल और वैश्विक सुरक्षा पहल के कार्यान्वयन और आर्थिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाएगा, वैश्विक स्थिरता की रक्षा करेगा, ताकि हाथ मिलाकर मानव साझे भाग्य वाले समुदाय की रचना कर सके और क्षेत्र यहां तक कि दुनिया की शांतिपूर्ण विकास के लिए और बड़ा योगदान प्रदान कर सके।

उधर, जापानी प्रधानमंत्री ने नाटो शिखर सम्मेलन में कहा कि यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और प्रतिरक्षा का घनिष्ट संबंध है। पूर्वी सागर और दक्षिण चीन सागर में एकतरफा तौर पर स्थितियों को बदलने की कार्रवाइयां जारी हैं। कल का पूर्वी एशियाई क्षेत्र संभवतः दूसरा यूक्रेन बन जाएगा। इसकी चर्चा में चीनी प्रवक्ता चाओ ने कहा कि जापान वास्तव में खुद के सैन्य विस्तार के लिए बहाना ढूंढ रहा है। पूर्वी एशिया के भविष्य की की चर्चा करते समय हमें पहले यह सोचना है कि पहले पूर्वी एशिया में क्या हुआ?अगर जापान सचमुच यह चाहता कि पूर्वी एशिया में शांति और स्थिरता रहे, तो जापान को संजीदगी से खुद के आक्रमण इतिहास का सिंहावलोकन कर इससे सबक लेना चाहिए। पूर्वी एशिया शांति, स्थिरता और सहयोग का क्षेत्र है, जबकि भू-राजनीति का प्रतिस्पर्धा करने का स्थल नहीं है। इस क्षेत्र की शांति व स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी कार्रवाई को अवश्य ही चीनी लोग और पूर्वी एशिया के देशों का समान विरोध मिलेगा, जो अवश्य ही विफल हो सकेगा। 

प्रवक्ता चाओ ने कहा कि देशों के बीच संबंधों का विकास विश्व की शांति और स्थिरता के हित में होना चाहिए, जबकि किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। चीन नाटो की कार्रवाइयों पर घनिष्ट ध्यान देगा और चीन के हितों को क्षति पहुंचाने वाली किसी भी कार्यवाइयों को नजरंदाज नहीं करेगा।

(श्याओयांग)

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