अमेरिका ने एक बार फिर रबर चेक लिखा

2022-06-28 10:21:52

26 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जी7 शिखर बैठक पर वैश्विक बुनियादी संस्थापन साझेदारी प्रस्ताव(पीजीआईआई)  रखा ।उन्होंने दावा किया कि अमेरिका जी 7 ग्रुप के अन्य सदस्यों के साथ वर्ष 2027 से पहले वैश्विक बुनियादी संस्थापन के क्षेत्र में 6 खरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी जुटाएगा और अमेरिका खुद 2 खरब अमेरिकी डॉलर तैयार करेगा ।

 

सुनने में यह एक महत्वकांक्षी योजना है ,पर ध्यान से विश्लेषण के बाद पता चलेगा कि यह वास्तव में एक निहित राजनीतिक योजना है ।

 

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने इस योजना की चर्चा में साफ कहा था कि यह चीन द्वारा प्रस्तुत चीज की जगह लेगी और दूसरा चुनाव होगा ।आम विचार है कि पीजीआईआई का असली लक्ष्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करना है ।

 

अमेरिका ने कहा कि भावी पाँच साल में 2 खरब अमेरिकी डॉलर चंदा ,संघीय कोष और निजी निवेश से आएगा ,बाकी धनराशि शायद बहुपक्षीय विकास बैंकों ,विकास वित्तीय संस्थान ,प्रभुसत्ता संपत्ति कोष व अन्य निधि से आएगा ।एएफपी ने एक आलेख में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस योजना की पूंजी मुख्य तौर पर निजी निवेशकों से आएगी ,इसलिए इसकी गारंटी नहीं है ।

इस के अलावा अमेरिका में बुनियादी संस्थापन निर्माण की धीमी गति और जी7 के समक्ष तेजी से बढ़ रही मुद्रास्फीति दर के कारण तथाकथित पीजीआईआई शायद अमेरिका द्वारा लिखा गया और एक रबर चेक है।

 

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में विकासशील देशों को बुनियादी संस्थापन में बड़ी पूंजी की जरूरत है ।अगर अमेरिका सच्चे दिल से पूंजी प्रदान करना चाहता है ,तो अच्छी बात है।अगर वह सिर्फ विकासशील देशों की मदद के बहाने से छोटा समूह बनाकर शून्य जमा का खेल खेलना चाहता है ,तो वह निश्चय ही नाकाम होगा ।(वेइतुंग)   

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