अमेरिका में आयोजित 9वीं अमेरिका शिखर बैठक का कोई खास महत्व नहीं

2022-06-07 10:10:16

नौवीं अमेरिका शिखर बैठक 6 जून को अमेरिका में आयोजित हुई। इस शिखर बैठक से पहले कई अमेरिकी देशों के नेताओं ने इसकी आलोचना की या बहिष्कार किया। इसके अलावा अमेरिका ने अंत में क्यूबा, वेनेजुएला और निकारागुआ को आमंत्रित नहीं करने का फैसला किया। इससे प्रतीत होता है कि अमेरिका द्वारा आयोजित इस क्षेत्रीय शिखर बैठक का कोई खास महत्व नहीं है।  

इस अप्रैल में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तथाकथित लोकतंत्र मुद्दे की आड़ में इन तीनों देशों के नेताओं को आमंत्रित नहीं करने की इच्छा जतायी थी, जिसे लातिन अमेरिकी देशों ने कड़ा विरोध किला। मैक्सिको, बोलीविया आदि देशों के नेताओं ने कहा कि अगर अमेरिका सभी अमेरिकी देशों के नेताओं को आमंत्रित नहीं करेगा, तो वे इस शिखर बैठक से किनारा कर लेंगे।

हाल ही में अमेरिकी बोलीवारियन संघ (एएलबीए) की 21वीं शिखर बैठक ने बयान जारी कर अमेरिका द्वारा इस शिखर बैठक के आयोजन से कुछ लातिन अमेरिकी देशों के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव करने की कड़ी निंदा की।

वर्ष 1823 में अमेरिका ने लातिन अमेरिकी देशों पर नियंत्रण करने के लिए मुनरो सिद्धांत पेश किया। इसके बाद लातिन अमेरिकी देश अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप, राजनीतिक दबाव, प्रतिबंध के दुरुपयोग और मुद्रास्फीति के शिकार बने। इस बार अमेरिका शिखर बैठक आयोजित कर कुछ देशों पर दबाव बनाना चाहता है। यह अमेरिका की कूटनीति में मुनरो सिद्धांत मौजूद होने का एक ताजा उदाहरण है।

मैक्सिको के अंतरराष्ट्रीय मुद्दे के विशेषज्ञ जेवियर रेयेस ने कहा कि अमेरिका वास्तव में इस शिखर बैठक से अपने प्रभुत्व को मजबूत करना चाहता है। यह अमेरिकी देशों का एकीकरण ढूंढने की इच्छा के विरुद्ध है इसलिए उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है।

इसके अलावा कुछ विश्लेषकों के विचार में अमेरिका इस शिखर बैठक से चीन संबंधी सवाल पर अमेरिकी देशों पर दबाव डाल कर अपनी ओर खींचना चाहता है, लेकिन यह निश्चय ही विफल होगा, क्योंकि लातिन अमेरिकी देशों के लिए वर्तमान में सबसे नाजुक मुद्दा आर्थिक बहाली है न कि भू-राजनीति का मुकाबला करना है। (वेइतुंग)

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