अफगान बच्चों की इच्छा

2022-06-01 19:17:37

15 वर्षीय बच्चा रहमतुल्लाह अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल के आसपस ईंटों के एक भट्ठे में काम करता है। वह यहां रोजाना ईंटें ढोता है।

रहमतुल्लाह का कहना है कि उसे तड़के 1 बजे से शाम 6 बजे तक काम करना पड़ता है, एक दिन 300 एनी (लगभग 3.4 डॉलर) कमाता है। उसके पिता को हृदय रोग है। इस तरह रहमतुल्लाह के पास कोई अन्य रास्ता नहीं है। उसे तड़के 1 बजे से काम शुरु करना पड़ता है, उसके पास स्कूल जाने का बिलकुल समय नहीं रहता है। उसने कहा कि उसका सपना इंजीनियर या डॉक्टर बनने का था। 

ईंटों के भट्ठे पर रहमतुल्लाह जैसे अन्य और भी बच्चे काम करते हैं। उस शहर में स्थिति भी अच्छी नहीं है। राजधानी काबुल में, यहां तक कि पूरे अफगानिस्तान में हजारों बच्चे शहर की सड़कों पर कष्टदायक श्रम कर रहे हैं।

अगस्त 2021 के अंत में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद नौ महीने बीत चुके हैं। अमेरिका द्वारा जारी एकतरफा प्रतिबंध और जमे हुए अफगान सेंट्रल बैंक की संपत्ति में अरबों डॉलर की वापसी में देरी की वजह से इस देश की आर्थिक मुसिबतें और गंभीर हो रही है, जहां 2 दशकों में आक्रामकता से पीड़ित है।

अब, इन छोटे बच्चों को भी अपने माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पैसे कमाने का बोझ साझा करना पड़ता है। जिंदगी के बोझ ने कुछ बच्चों के पढ़ने के सपने चकनाचूर कर दिए हैं।

लड़का नूर मोहम्मद ने कहा कि वह स्कूल गया और कॉलेज जाना चाहता था और एक सम्मानित शिक्षक बनना चाहता था। हालांकि उसके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए ऐसा होने की संभावना नहीं है। गरीबी ने उसका भविष्य छीन लिया है।

लेकिन अभी भी कई बच्चे ऐसे हैं, जो अभी भी सपने देखते हैं। अमेरिकी सेना द्वारा एक हवाई हमले में लाघमन प्रांत के किशोर ब्रकतुल्लाह ने अपने परिवार के लगभग सभी सदस्यों को खो दिया, केवल उसे और उसकी बहन को एक-दूसरे पर निर्भर रहने के लिए छोड़ दिया। अब, ब्रकतुल्लाह को न केवल जीवनयापन के लिए काम करना पड़ता है, बल्कि अपनी बहन की देखभाल भी करनी पड़ती है। लेकिन उसे लगता है कि मुश्किल होने पर भी उसे स्कूल जाना चाहिए, क्योंकि उसे अभी भी भविष्य के लिए बहुत सारी उम्मीदें हैं। “अब मुझे एक दिन स्कूल जाने में सक्षम होने के लिए काम करना है। वर्तमान में मेरे पास पढ़ने का समय नहीं है, क्योंकि परिवार में कोई अन्य बुजुर्ग नहीं है, मैं परिवार का मुखिया हूं।” ब्रकतुल्लाह ने यह बात कही।

पहली जून अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, हमें आशा है कि अफगानिस्तान, जो कभी युद्ध और अराजकता से पीड़ित था, सभी पक्षों के प्रयासों से जल्द से जल्द पुनर्निर्माण कर सकेगा, और अधिक बच्चे, जो जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं या स्कूल से बाहर हैं, जल्द ही स्कूल में वापस लौट सकेंगे, और अपने सपनों को साकार कर सकेंगे।

रेडियो प्रोग्राम