यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त की चीन यात्रा कोई "जांच" नहीं है

2022-05-30 16:38:08

अभी हाल ही में, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने चीन की आधिकारिक यात्रा की, जहां उन्होंने इस यात्रा को एक "जांच" नहीं, बल्कि आदान-प्रदान और बातचीत को बढ़ावा देने का एक अवसर बताया।

मिशेल बाचेलेट ने पश्चिमी चीन के शिनच्यांग उइगुर स्वायत प्रदेश का दौरा किया, जहां उन्होंने छह दिन बिताए। अपने इस दौरे के दौरान, उन्होंने काशगर जेल, काशगर प्रायोगिक स्कूल आदि जगहों का दौरा किया। इसके अलावा, नागरिक समाज संगठनों, शिक्षाविदों, और समुदाय और धार्मिक नेताओं के साथ बातचीत भी की।

हालांकि चीन की मानवाधिकार प्रथाओं को धूमिल करने में संलग्न कई लोगों ने उनकी इस यात्रा और बयान की खूब आलोचना की है, क्योंकि यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहीं भी "नरसंहार" शब्द का उल्लेख नहीं किया है।

दरअसल, उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण में चीन की उपलब्धियों को स्वीकार करते हुए और भविष्य में इसे बेहतर बनाने के लिए आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने की बात कही है, जो कि उन चीन-विरोधी लोगों को हजम नहीं हो रही है।

उन लोगों को समझना होगा कि चीन ने हमेशा अपने विकास में लोगों को पहले स्थान पर रखा है। चीन में कोविड-19 महामारी से हुई मौतों की संख्या अमेरिका की तुलना में बेहद कम है। इसके अलावा, गरीबी में कमी, लिंग समानता, और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा की शुरूआत और लगभग सार्वभौमिक बेरोजगारी बीमा योजना में चीन की उपलब्धियां महत्वपूर्ण योगदान हैं, जो इसने दुनिया के मानवाधिकारों के लिए किए हैं।

इतिहास साबित करता है कि चीन ने मानवाधिकार विकास का जो रास्ता अपनाया है, वह देश की वास्तविक परिस्थितियों के अनुकूल है और अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कारगर है।  

यकीनन, चीन की उल्लेखनीय विकास उपलब्धियों ने देश के मानवाधिकार अधिवक्ताओं के देश को बदनाम करने के प्रयास की भ्रांति को खारिज कर दिया, जो कि चीन के प्रति नियंत्रण की नीति का केवल एक हिस्सा है।

(अखिल पाराशर)

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