दोनों देशों का लोकप्रिय और मनपसंद पेय है चाय
चाय का नाम लेते ही एक गर्मा गरम भरी हुई प्याली से मध्यम-मध्यम निकलता हुआ धुआं उसकी तासीर को बयां करता है। चाय एक ऐसा लोकप्रिय पेय है कि जिसकी पेशकश पर बिरले लोग ही ना कर पाते हैं। सबसे खास बात ये कि चीन और भारत दोनों ही देशों की संस्कृतियों में चाय का एक विशेष स्थान है और दोनों ही देशों में घर-घर में इसे खूब पसंद किया जाता है। पश्चिमी संस्कृति वाली कॉफी के उलट चाय सभी लोगों द्वारा स्वीकृत और पसंदीदा पेय के रुप में मान्य है। चाहे कोई भी भौगोलिक भू-भाग हो, दिन में दो बार एक प्याली चाय दिन भर की थकान मिटा देती है तो सुबह-सुबह लोगों को तरोताजा कर देती है। आजकल कई तरह की चाय बाज़ारों में उपलब्ध है, लेकिन देसी चाय के रुप में दूध, चीनी, और तेज चाय की पत्ती के साथ थोड़ा अदरक वाला मिश्रण हो तो ऐसी चाय लोग ज्यादातर पीना पसंद करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय हर वर्ष 21 मई को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है।
आमजनों के लिए असली चाय का आनंद चाय की टपरी पर है जिसमें सड़क के किनारे पत्थर की कुर्सी पर बैठकर कत्थई रंग का पेय पारदर्शी गिलास में पेश किया जाता है और सुड़क-सुड़क की आवाज़ के साथ जब ये चाय होठों को छूते हुए हलक के नीचे उतरती है तो सुकून का स्वर्गीय एहसास हो जाता है। चाहे दिन भर सड़कों पर काम करने वाले आमजन हों या खास लोग, दिन में फुर्सत के कुछ पल निकालकर चाय का एक कप या गिलास पी ली लेते हैं। कुछ मलाईदार चाय पसंद करते हैं तो कुछ अधिक चाय पत्ती वाली कड़क चाय। कुछ को अधिक चीनी वाली चाय सुहाती है तो कुछ फीकी चाय में ही आनंद खोज लेते हैं।
किसी बाज़ार का कोई चौक हो या दफ्तर की बाउंड्रीवाल से सटी हुई जगह, चाय की टपरी हर जगह देखने को मिल जाती है। और चाय पीने का असली आनंद वहीं जाकर पीने में आता है। वैसे आजकल दफ्तरों में टपरी की चाय पीने का शौक थर्मस में 15-20 गिलास चाय मंगवाकर पूरा कर लिया जाता है।
दिन की शुरुआत में एक प्याली गर्म चाय और सुबह की खबरों वाला दैनिक अखबार कई लोगों का सुबह का समय गुजार देता है। दैनिक समाचार-पत्र और चाय का साथ मानो जन्म जन्मातंर का है। एक के बिना दूसरा अधूरा सा लगता है।
चाय की दुकान पर आमजनों की चाय के दाम भी इन दिनों छह रुपए से 10 रुपए तक हो गए हैं। हालांकि अधिक चीनी और दूध वाली चाय मलाई के साथ 20 रुपए में भी मिलती है। जैसा ग्राहक का बजट वैसी चाय मिल ही जाती है। कॉफी की अंतर्राष्ट्रीय पहचान और कई नई कॉफी बेचने वाली कंपनियों के बाजारों में पैठ बनाने के बावजूद चाय के प्रति प्यार और लोकप्रियता कम होती दिखाई नहीं देती।
आम परिवारों में चाय को इतना पसंद किया जाता है कि जब भी कोई मेहमान घर पर मिलने आता है तो उसे भी नाश्ते के बाद गर्मागर्म चाय ही परोसी जाती है। कम ही लोग ठंडा पीना पसंद करते हैं। दोनों ही देशों में मेहमानों के लिए चाय पेश करने की संस्कृति समान ही है। कूटनीतिक मुलाकातें हों या अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की बात, अगर चर्चा चाय की टेबल पर दो प्याली चाय के साथ हो रही है तो सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीदें ज्यादा होती हैं।