भारत के आर्थिक पुनरुत्थान में बाहरी चुनौती मौजूद

2022-04-27 17:10:11

सिलसिलेवार वित्त व मुद्रा नीति के प्रोत्साहन से भारत की अर्थव्यवस्था धीरे धीरे कोविड-19 महामारी से पहले की स्थिति में बहाल हो रही है। लेकिन इसे स्पष्ट बाहरी चुनौती का सामना करना पड़ा। अमेरिकी मौद्रिक नीति के सख्त होने से उभरते बाजारों पर असर पड़ा है, बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों ने मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा दिया है, और विश्व आर्थिक विकास में मंदी ने बाहरी मांग को कम कर दिया है, जो सभी भारत की अर्थव्यवस्था के निरंतर विकास में बाधा बन गए हैं।

अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव के जवाब में, भारत ने पिछले दो वर्षों में आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए कई नीतियां पेश की हैं। मौद्रिक नीति के संदर्भ में, आरबीआई ने वित्तीय प्रणाली में भारी तरलता को इंजेक्ट करते हुए अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर घटा दिया। राजकोषीय नीति के संदर्भ में, भारत का वित्त मंत्रालय एक सक्रिय और विस्तारवादी राजकोषीय नीति लागू करता है।

इन नीतियों के समर्थन से, भारतीय अर्थव्यवस्था मूल रूप से अपने पूर्व-महामारी स्तर पर पहुंच गई है। फरवरी के अंत में भारत के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी किए गए मैक्रोइकॉनॉमिक पूर्वानुमान से पता चला है कि 2021-2022 वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021-मार्च 2022) में भारत की जीडीपी 2019-2020 वित्तीय वर्ष के पूर्व-महामारी स्तर से अधिक हो गई है।

चंद्रिमा

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